Monday, May 12, 2014

भागवत से - 8

<> भागवत ' 6.18.42
*  कल्प के प्रारम्भ में जब कश्यप ऋषि और दिति के पुत्र हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष का बध हो गया तब दिति कश्यप से कहती है कि आप से मैं ऐसे पुत्र को चाहती हूँ जो इंद्र को मार सके । कश्यप दिति से कहते हैं , " स्त्रियाँ अपनी लालासाओंकी गुलाम होती हैं । वे किसी से प्यार नहीं करती । वे अपने स्वार्थ पूर्ति केकिये भाई ,पति और पुत्र तक का भी बध करवा सकती
 हैं ।" 
<> भागवत :9.14.36+9.14.37 
* ब्रह्मा पुत्र ऋषि अत्रि एवं अनसूया से चन्द्रमाका जन्म हुआ ।चन्द्रमा बृहस्पति की पत्नी तारा को चुरा लिया और बुधका जन्म हुआ । बुधसे पुरुरवा हुए जिनसे चन्द्र बंश प्रारम्भ हुआ । त्रेता युग के प्रारम्भ में पुरुरवा और उर्बशी से 06 पुत्र हुए ।सुहाग रात के अवसर पर उर्बशी पुरुरवा से त्रेता युग के प्रारम्भ में कह 
रही है ," स्त्रियों की किसी से मित्रता नहीं होती । स्त्रियाँ निर्दय होती हैं । स्त्रियों के स्वभाव में क्रूरता छिपी होती है । वे अपनें स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकती हैं । वे प्यार से विश्वास दिला कर पति और भाई तक को भी मरवा सकती हैं ।"
 <> इस कल्प के प्रारम्भ में और त्रेता युगके प्रारम्भकी  इन दो भागवत की कथाओं से आप को क्या शिक्षा मिलती है ?
 ~~ ॐ ~~

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