अध्याय - 16
" ज्ञान दो प्रकार का होता है ; शास्त्रोक्त और विवेक से उत्पन्न "
शास्त्रोक्त ज्ञान वह जो शास्त्रों के मनन से प्राप्त होता है , जिसे धब्द मय ब्रह्म कि संज्ञा दी गयी है / विवेक से उत्पन्न ज्ञान परब्रह्म रूप है जो द्वैत्य -अद्वैत्य से परे के आयाम में पहुंचा कर सत्य की किरण दिखता है /
और .....
Prof. Albert Einstein says ,
"Knowledge exists in two forms ; lifeless and alive . Lifeless knowledge is stored in books and alive is one,s consciousness "
अब आप सोचें ....
गरुण पुराण और आइन्स्टाइन वैज्ञानिक की सोच में कितना गहरा सम्बन्ध है ?
==== ॐ =====
" ज्ञान दो प्रकार का होता है ; शास्त्रोक्त और विवेक से उत्पन्न "
शास्त्रोक्त ज्ञान वह जो शास्त्रों के मनन से प्राप्त होता है , जिसे धब्द मय ब्रह्म कि संज्ञा दी गयी है / विवेक से उत्पन्न ज्ञान परब्रह्म रूप है जो द्वैत्य -अद्वैत्य से परे के आयाम में पहुंचा कर सत्य की किरण दिखता है /
और .....
Prof. Albert Einstein says ,
"Knowledge exists in two forms ; lifeless and alive . Lifeless knowledge is stored in books and alive is one,s consciousness "
अब आप सोचें ....
गरुण पुराण और आइन्स्टाइन वैज्ञानिक की सोच में कितना गहरा सम्बन्ध है ?
==== ॐ =====
No comments:
Post a Comment