Monday, October 8, 2012

इन्द्रियाँ

" आसक्त इंद्रिय का मन गुलाम होता है "
गीता - 2.60
मनुष्य दो के मध्य खडा है - प्रकृति और उसका अन्तः करण / गीता में प्रभु श्री कृष्ण श्लोक -  13.20 के माध्यम से 13 करण बताते हैं ; 10 इन्द्रियाँ और मन , बुद्धि एवं अहँकार / मन , बुद्धि एवं अहँकार को अन्तः करण कहते हैं / मनुष्य प्रकृति एवं पुरुष का योग है / प्रकृति 10 कार्य [ पांच बिषय एवं पांच महाभूत ] एवं तेरह करण का योग है [ 10 इन्द्रियाँ एवं अंतःकरण के तीन तत्त्व ] /
प्रकृति में स्थित पांच बिषय अपनें - अपनें इंद्रियों को राग - द्वेष उर्जाओं से सम्मोहित करते रहते हैं और यही  सम्मोहन मनुष्य को उसके मूल से दूर रखता है / वह इंद्रिय जो अपनें बिषय से सम्मोहित हो जाती है , उस मनुष्य का मन उस इंद्रिय का गुलाम बन जाता है , यह बात प्रभु श्री कृष्ण गीता श्लोक - 2.60 के माध्यम से अर्जुन को बता रहे हैं /
अगली बात अगले अंक में
=== ओम् ====

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