इस गीता यात्रा के अगले कुछ और कदम
गीता सूत्र –10.28
प्रजन : च अस्मि कन्दर्प :
प्रजनन की ऊर्जा काम देव मं हूँ , यह बात श्री कृष्ण कह रहे हैं
गीता सूत्र –16.21
त्रिविधं नरकस्य इदं द्वारं … .....
काम : क्रोध : तथा लोभ : …...
नर्क के तीन द्वार हैं जहां से प्रवेश मिलना सुगम है ; काम , क्रोध एवं लोभ
गीता सूत्र –5.23
काम – क्रोध के प्रति हूश मय होना ही सुख है
गीता सूत्र –3.37 , 14.7
कामः एष : क्रोध : एष : रजो - गुण समुद्भवः गीता 3 . 37
रजो रागात्मकं विद्धि तृष्णा संग समुद्भवम् गीता 14.7
काम – क्रोध , तृष्णा [ लोभ ] राजस गुण के तत्त्व हैं
सूत्र – 14.12
लोभ – आसक्ति राजस गुण के तत्त्व हैं
सूत्र –18.17
अहंकार रहित कर्म कर्म म्बधन मुक्त कर्म होता है और ऐसा कर्म करनें वाला मन का गुलाम नहीं होता
गीता के सूत्रों की ब्याख्या करना गीता के सूत्रों पर चादर डालनें जैसा है और मैं नहीं चाहता की गीता की प्रकाश किरानोंऔर आप के मध्य मैं एक अवरोध का काम करूँ / गीता के सूत्र आप के सामनें हैं , आप को कैसे देखते हैं , यह आप को देखना है //
=======ओम==========
sarthak prastuti .aabhar .
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