गीता के दो सौ सूत्रों की श्रंखला-----
अगले कुछ सूत्र …...
गीता सूत्र –5.22
इन्द्रिय भोग दुःख के माध्यम हैं और क्षणिक होते हैं//
गीता सूत्र –3.37
काम का रूपांतरण ही क्रोध है//
गीता सूत्र –2.60
इन्द्रियाँ बिषय के सम्मोहन में मन को गुलाम बना लेती हैं//
गीता सूत्र –2.67
गुलाम मन प्रज्ञा को भी सम्मोहित कर सकता है//
गीता सूत्र –3.7
मन से इन्द्रिय नियोजन यदि हो तो अनासक्त कर्म होते हैं//
गीता के कुछ अनमोल सूत्रों को आप देखे,अब इन सूत्रों को अपनी बुद्धि में बसाओ//
गीता कहता है,भीखारी क्यों बनना चाहते हो,श्री कृष्ण तो आप को सम्राट बना रखे हैं;ऐसा
सम्राट जिएके कर्म अहंकार की छाया में नहीं होते ज्ञान के प्रकाश में होते हैं,जिसके कर्म
गुण तात्वों के सम्मोहन में नहीं होते सांख्य – योगी श्री कृष्ण के प्रकाश में होते हैं और
ऐसा सम्राट कहीं बाहर नहीं अपनें में ब्रह्म की अनुभूति करता है//
जहां चाह नहीं ….
वहाँ सत् की राह होती है//
====ओम======
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