Tuesday, August 2, 2011

गीता के दो सौ सूत्र भाग आठ

गीता के दो सौ सूत्रों की श्रंखला-----

अगले कुछ सूत्र …...

गीता सूत्र –5.22

इन्द्रिय भोग दुःख के माध्यम हैं और क्षणिक होते हैं//

गीता सूत्र –3.37

काम का रूपांतरण ही क्रोध है//

गीता सूत्र –2.60

इन्द्रियाँ बिषय के सम्मोहन में मन को गुलाम बना लेती हैं//

गीता सूत्र –2.67

गुलाम मन प्रज्ञा को भी सम्मोहित कर सकता है//

गीता सूत्र –3.7

मन से इन्द्रिय नियोजन यदि हो तो अनासक्त कर्म होते हैं//


गीता के कुछ अनमोल सूत्रों को आप देखे,अब इन सूत्रों को अपनी बुद्धि में बसाओ//

गीता कहता है,भीखारी क्यों बनना चाहते हो,श्री कृष्ण तो आप को सम्राट बना रखे हैं;ऐसा

सम्राट जिएके कर्म अहंकार की छाया में नहीं होते ज्ञान के प्रकाश में होते हैं,जिसके कर्म

गुण तात्वों के सम्मोहन में नहीं होते सांख्य – योगी श्री कृष्ण के प्रकाश में होते हैं और

ऐसा सम्राट कहीं बाहर नहीं अपनें में ब्रह्म की अनुभूति करता है//

जहां चाह नहीं ….

वहाँ सत् की राह होती है//


====ओम======




No comments:

Post a Comment