Tuesday, August 9, 2011

गीता के दो सौ सूत्र भाग नौ

गीता के दो सौ सूत्रों की श्रृंखला के अगले सूत्र------


सूत्र –3.6


कर्म इन्द्रियों को हठात नियंत्रित करनें से क्या होगा ? मन तो बिषयों पर मनन करता ही रहेगा /

कर्म इन्द्रियों का हठात नियोजन अहंकार को पीना करता है // यह सूत्र सूत्र 2.59 के साथ देखें //


सूत्र –4.39


नियोजित इन्द्रियाँ ज्ञान की ओर ले जाती हैं //


सूत्र –2.68


स्थिर प्रज्ञ की इन्द्रियाँ नियोजित होती हैं //


सूत्र –5.8 , 5.9


संभव योगी अपनी इन्द्रियों की कृयाओं का द्रष्टा तत्त्व – वित् होता है //


गीता के पांच सूत्र आप के सामनें हैं आप इनसे मित्रता स्थापित करके गीता माय होनें की दिशा में

एक कदम और चल सकते हैं //











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