गीता के दो सौ सूत्रों की श्रृंखला के अगले सूत्र------
सूत्र –3.6
कर्म इन्द्रियों को हठात नियंत्रित करनें से क्या होगा ? मन तो बिषयों पर मनन करता ही रहेगा /
कर्म इन्द्रियों का हठात नियोजन अहंकार को पीना करता है // यह सूत्र सूत्र 2.59 के साथ देखें //
सूत्र –4.39
नियोजित इन्द्रियाँ ज्ञान की ओर ले जाती हैं //
सूत्र –2.68
स्थिर प्रज्ञ की इन्द्रियाँ नियोजित होती हैं //
सूत्र –5.8 , 5.9
संभव योगी अपनी इन्द्रियों की कृयाओं का द्रष्टा तत्त्व – वित् होता है //
गीता के पांच सूत्र आप के सामनें हैं आप इनसे मित्रता स्थापित करके गीता माय होनें की दिशा में
एक कदम और चल सकते हैं //
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