Tuesday, December 7, 2021

गीता अध्याय - 4 की एक झलक

 


एक  झलक ⬇️

गीता अध्याय - 4

श्रीमद्भागवतगीता अध्याय - 4 के बिषय👇

क्र सं

बिषय

श्लोक 

योग


● अर्जुन का चौथा प्रश्न

◆ पिछले जन्मों को जानना ● प्रभु से परिचय ● वर्ण व्यवस्था

1 - 14

14


# राग , भय , क्रोध मुक्त योगी

# देव पूजन से कर्म फल प्राप्ति

# कर्म 

15 - 19

05


आसक्ति , समभाव 

20 - 23

04


यज्ञ

24 - 33

10


ज्ञान 

34 - 42

09

योग

➡️

➡️

42


गीता अध्याय : 4 > ध्यानोपयोगी श्लोक

5

10

12

18

19

20

21

22

23

29

30

35

36

37

38

40

41

41

योग👉

18


अध्याय - 4 की एक झलक ⬇

★ अध्याय - 4 में प्रभु श्री कृष्ण अपनें 41 श्लोकों नें से 07 श्लोकों ( 6 - 9 , 11 , 13 , 14 ) के माध्यम से अपने को निम्न प्रकार व्यक्त करते हैं 👇

★ मैं अजन्मा , अविनाशी , सभीं प्राणियों का ईश्वर होते हुए भी अपनी योगमाया से प्रकट होता हूँ ।

★ जब जब धर्म घटता है , अधर्म बढ़ता है तब तब साधु पुरुषों के उद्धार एवं पापियों के संहार के लिए मैं  निराकार से साकार रूप में अवतरित होता हूँ।

★ मेरे जन्म और कर्म निर्मल एवं दिव्य हैं , जो इसे तत्त्वसे जान लेता है वह मुझे प्राप्त करता है ।

★ चार वर्णों की रचना मेरे द्वारा उनके गुण - कर्म के आधार पर की गई है।

★ कर्म मुझे नहीं बाधते और जो मुझे जान लेता है उसे भी कर्म नहीं बाध पाते।

★ श्लोक : 4.4 के माध्यमसे अर्जुनका गीता में चौथा प्रश्न निम्न प्रकार है ⤵

⚛आपका जन्म अभीं हाल का है और विवस्वान् ( सूर्य )का जन्म बहुत पुराना है । अतः मैं कैसे समझूँ कि कल्पके प्रारंभमें यह योग आप सूर्य को बताये थे ?

💐 अध्याय  : 3  में श्लोक - 3.36 के माध्यमसे अर्जुन का प्रश्न था कि मनुष्य न चाहते हुए भी पाप क्यों कर बैठता है ?  इस प्रश्नके उत्तरमें अध्याय : 3 के आखिरी 07 श्लोकों के साथ अध्याय : 4 के प्रारंभिक 03 श्लोक भी  हैं ।


● आगे  अध्याय - 4 में पिछले जन्मों  की स्मृतियों में लौटने के सम्बन्ध में संकेत दिया गया है जिसे बुद्ध आलय विज्ञान और महाबीर जाति स्मरण कहते हैं ।

● बीतराग भय और क्रोध मुक्त ज्ञानी प्रभु में होता है , यह सूत्र भी अध्याय - 4 का ही है ।

श्लोक : 24  - 33 यज्ञ से संबंधित हैं और जिनमें श्लोक : 28 + 29 में पूरक , कुम्भक और रेचक प्राणायाम को बताया गया है । 

◆ ज्ञान सम्बंधित श्लोक > 24 - 25 +34 - 42

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