Friday, December 10, 2021

गीता अध्याय - 12 एक झलक

 


श्रीमद्भगवद्गीता  अध्याय - 12

🌷 अर्जुन पूछते हैं - साकार और निराकार उपासकों में उत्तम  उपासक कौन होते  हैं ? 

निराकार उपासक प्रभु को प्राप्त करते हैं । 

साकार उपासक उत्तम योगी होते हैं । 

निराकार उपासना में कष्ट अधिक है

● साधनामें समभावकी स्थिति मिलने पर  साधना सिद्ध होती है ।

★ प्रभु के  वचन 

हे अर्जुन ! तुम  अभ्यास योग से मुझ पर अपनें चित्त को केंद्रित करो ⤵️

या  अपनें कर्मों को तूँ मुझे समर्पित करो ⤵️

या फिर चाह रहित कर्म करो ।

1⃣ प्रभु श्री कृष्ण की इन 03 बातों में  पूरा वेदांत  दर्शन ज्ञान - सार और पतंजलि योग दर्शन  का पूरा ज्ञान - सार छिपा है।


2⃣ अभ्यास सिद्धि से पूर्ण समर्पण का भाव जागृत होता है ।  


 3⃣ पूर्ण समर्पण में ईश्वर  भाव से मन  की वृत्तियाँ क्षीण होती हैं , बुद्धि निर्मल होती है और कर्म बंधनों के मुक्ति मिलती है ।


 4⃣ वितृष्ण ( वैराग्य ) की ऊर्जा  प्रवाहित होने से आसक्ति मुक्त कर्म होने लगता है जो ज्ञानयोग की परानिष्ठा है।


~~◆◆ ॐ ◆◆~~

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