महर्षि पतंजलि ध्यान ( Meditation ) को परिभाषित कर रहे हैं ⤵️
महर्षि कह रहे हैं ⤵️किसी सात्त्विक आलंबना ( स्थूल या सूक्ष्म ) से पूर्ण रूप से चित्त को बाधना , ध्यान है ।
यहाँ बाधना शब्द यह बता रहा है कि साधक का ध्यान में उतरना , उसके प्रयाश का फल है । ध्यान अष्टांग योग की समाधि का द्वार है ।
महर्षि पतंजलि मुख्य रूप से तीन प्रकार की समाधियाँ बताते हैं । इस बिषय को देखें अगके अंक में ।। ॐ ।।
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