Saturday, January 3, 2015

भागवतसे - 30

* ध्रुवकी कथा *
# आकाश में ध्रुव तारा लोगोंको आकर्षित करता है ,आइये ,देखते हैं भागवत के आधार पर ध्रुवकी कथाका सार ।
# भागवत : 4.8-4.24 तक
# ब्रह्मा कुछ ऋषियों जो प्रजा बृद्धि हेतु पैदा किये जैसे अत्रि ,अंगिरा , पुलस्त्य , पुलह , क्रतु , भृगु , वसिष्ठ एवं दक्ष । जब इन ऋषियोंसे प्रजा बृद्धि जैसी होनी चाहिए थी वैसी न हो सकी तब स्वायम्भुव मनु और सतरूपाको अपनें देह से पैदा किये । अभीं तक पृथ्वी रसातल में थी ,सर्वत्र जल ही जल था और बिना पृथ्वी प्रजा उत्पन्न की जा रही है ; यह बात वैज्ञानिक नज़रिए से देखना चाहिए । ब्रह्मा , स्वायम्भुव मनु और सतरूपा से मैथुन धर्मके माध्यम से प्रजा बृद्धिका आदेश दिया इसके पहले मैथुन प्रजा उत्पन्न करनेंका माध्यम नहीं था , जरा सोचना इस बिषय पर कि बिना स्त्री बच्चा पैदा करना इस कल्प के प्रारंभ नें संभव था जबकि वैज्ञानिक अब 2015 में ऐसी बात सोच रहे हैं कि चमड़ी से एग और स्पर्म का निर्माण संभव है ।
# स्वायम्भुव मनु पहले मनु थे । स्वायम्भुव मनुको दो पुत्र हुए -प्रियव्रत और उत्तानपाद । प्रियव्रत के बंश में तीसरे बंशज हुए रिषभ देव जी जिनको आठवाँ अवतार माना जाता है और उनके पुत्र भरतके नाम पर अजनाभ खंडका नाम भारत वर्ष पड़ा ।
# उत्तानपादके कुल में उनका पोता हुआ ध्रुव। ध्रुव 5 वर्षकी उम्र में मधुबन (मथुरा ) में यमुना तट पर 5 माह तप करके सिद्धि प्राप्त की थी। # ध्रुव 36000 वर्ष राज्य किया और अंत में बदरिकाश्रम जा कर निर्विकल्प समाधिके माध्यम से परम पद प्राप्त किया । # आकाश में ध्रुव तारा जो हम सबको
आकर्षित करता है ,वह सम्राट धुवका निवास है ।
# ध्रुवके कुल में आगे 12वें हुए प्राचीनवर्हि । प्राचीनवर्हि के 10 पुत्रोंको प्रचेता कहते हैं ।
~~ ॐ ~~

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