Wednesday, May 20, 2015

भागवत से - 34

" In the beginning ,was the word and the word was with God and the word was God ."
~~ Gospel of John : 1.1~~
* सीधीसी बात गोस्पेलमें कही गयी *
" प्रारंभ शब्दसे हुआ और वह शब्द प्रभुसे प्रभुमें था " -- इस बातका दर्शन श्रीमद्भागवत पुराण स्कन्ध - 3 में कपिल मुनि अपनीं माँ देवहूतिको मोक्षका द्वार दिखानें हेतु सांख्य - योग ज्ञानके अंतर्गत कुछ इस प्रकार से दिया है ।
# माया से काल (time ) के प्रभाव के कारण महतत्त्वकी उपज हुयी ।
# महतत्त्व पर कालका प्रभाव जब पड़ा तब तीन अहंकार ( सत + राजस + तामस ) उपजे ।
# तामस अहंकारसे कालके प्रभावमें शब्दकी उत्पत्ति हुयी ।
# शब्दसे कालके प्रभाव में आकाश भूतकी उत्पत्ति हुयी ।
* आकाशसे स्पर्श , स्पर्शसे वायु , वायुसे रूप ,रूपसे तेज , तेजसे रस , रससे जल , जलसे गंध ,गंधसे पृथ्वीकी रचना हुयी ।
अर्थात
## पञ्च बिषय और पञ्च महाभूतोंकी रचना शब्दसे हुयी और ये 10 तत्त्व जीव निर्माणके मूल तत्त्व हैं । ** विज्ञान की आज की सोच भी कपिल मुनि की सोच से परे की नहीं दिखती ।
-- शेष अगले अंकमें --
~~ ॐ ~~

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