Tuesday, January 7, 2014

भागवत स्कन्ध - 11.2 कथा - सार

●भागवत स्कन्ध 11-2 ● 
सन्दर्भ :अध्याय - 02 से 05 तक
 ** नारद द्वारा बसुदेव को राजा नेमि और 09 योगिश्वारों की वार्ता सुनान  **
 *पहले देखते हैं , राजा निमि कौन थे ? मिथिलाके प्रथम राजा निमि थे जिनसे विदेह -जनक बंश चला । निमि इक्ष्वाकु के पुत्र थे।त्रेता युगमें सीताजीके पिता इस कुलके 21वें राजा जनक हुए । द्वापट में प्रभु श्रीकृष्ण और बलराम जी जा सम्बन्ध जनक कुल से मित्रवत था ।
 * भागवत के इस भाग में आगे बताया गया है कि ऋषभ देवके 100 पुत्रोंमें एक पुत्र भरत सम्राट हुए जो एक करोड़ साल तक राज्य किया और शेष में से 09 योगीश्वर हो गए थे।योगिश्वारोंके कुछ बचन इस प्रकार से हैं : 
^ भागवत धर्म वह है जो प्रभु से जोड़े ।माया प्रभावित ब्यक्ति प्रभु से दूर रहता है । मनुष्य मायाके प्रभाव में स्वयं के मूल स्वरुपको भूल जाता है । 
^ संसार के धर्म हैं : जन्म-मृत्यु ,भूख-प्यास , श्रम -कष्ट , भय और तृष्णा ,जो इनसे अप्रभावित रहे वह भक्त है । 
^ माया अनिर्वचनीय है, इसके कार्यों से इसका निरूपण हो सकता है ।प्रलय बेलामें सभीं ब्यक्तका अब्यक्त की ओर
 खीचना ,मायासे होता है ।मनके पार रहना ही मायातीत होना है ।नारायण स्वरुप सबके होनें का कारण है । वह जो स्वप्न ,
जाग्रत ,सुषुप्ति और समाधि में साक्षी की भाँती रहता है ,नारायण है । 
* शास्त्र विहित क्रियाएं कर्म हैं , शास्त्र निषिद्ध कर्म,अकर्म हैं , शास्त्र विहित कर्मोंका उलंघन विकर्म हैं । मैथुन ,मांस , मद्यमें वह उर्जा है जो भोगी को आकर्षित करती है ।
 * सतयुगी समदर्शी होते हैं ,मन उनके बश में होता है । श्वेत रंग परमात्मा का विग्रह रंग है । त्रेता युग में लाल रंग विग्रह रंग है , द्वापर में पीताम्बर और साँवला रंग विग्रह रंग है और काला रंग कलि युगका विग्रह रंग है । 
~~ ॐ ~~

No comments:

Post a Comment