Sunday, January 6, 2013

जप जी का मूल मन्त्र

सैभंग [ Saibhang ] 

Self Illuminating 

जपजी साहिब में सैभंग आठवां सूत्र है जिसका अर्थ है , वह जो स्वप्रकाशित है अर्थात प्रभु स्वप्रकाशित है , ऎसी बात आदि गुरु जी साहिब को तब पता लगी जब वे दो दिन तक दरिया में  आम लोगों के लिए बह गए थे लेकिन दरिया उनको परम के चरणों में पहुंचा कर  परम मय बना दिया था / 

प्रभु को प्रकाश के माध्यम से समझाया जाता है , आखिर प्रकाश है क्या ?

उन्नीसवीं शताब्दी के महानतम वैज्ञानिक जैसे अलबर्ट आइन्स्टीन , मैक्स प्लैंक , डिरेक , श्रोडिंगर , सी वी रमण एवं अन्य ऐसे लोग जिनको नोबल पुरष्कार मिला , वे सभीं प्रकाश को अपना - अपना शोध का विषय बनाया था /
जर्मनी का महान कवि गेटे जब आखिरी श्वास भर रहा था तब बोला , सभीं चिरागों  को बुझा दो अब मुझे परम प्रकाश दिखनें लगा है /

गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं : -----


  • सूत्र - 9.19  सूर्य रूप में मैं तपता हूँ 
  • सूत्र - 7.8 , 7.9 , 10.23,15.12
  • सूर्य , चन्द्रमा एवं अग्नि , मैं हूँ , उनका तेज मैं हूँ और उनका प्रकाश भी मैं हूँ 
  • सूत्र - 13.17 
  • ब्रह्म ज्योतियों का ज्योति है , परम ज्योति 
  • सूत्र - 15.6
  • परम पद स्वप्रकाशित है 
  • सूत्र - 14.6
  • सात्त्विक गुण में जब मनुष्य होता है तब उसे परम प्रकाश का बोध होता है 

मैक्स प्लैंक आग में से निकलती चिंगारी को देखा  और उनको हीट -  क्वांटा की सोच जग गयी लेकिन उस समय गणित इतनी मजबूत न थी कि उनकी बात को सिद्ध किया जा सके लेकिन कुछ समय बाद उनकी कही  गयी बात को गणित के आधार  पर सिद्ध किया गया और फिर उनके ही  सिद्धांत पर आइन्स्टाइन को भी नोबल पुरष्कार मिला था /
मनुष्य ध्यान , जप , तप , तपस्या , पूजा , पाठ  आदि माध्यमों से जन अपनें तन , मन एवं बुद्धि को निर्मल कर लेता है तब उसे बंद आँखों से परम प्रकाश समाधि में दिखता है और वह समाधि में स्थिति योगी उस समय स्वयं परम मय ही हो उठता है / 
सूर्य , चंद्रमा , अग्नि एवं अन्य माध्यमों से जो प्रकाश हम देखते हैं वे सभीं माध्यम  हैं जिनको पकड़ कर परम प्रकाश में पहुंचा जा सकता है /
झील में पूनम की चाँद के खिले प्रतिबिम्ब को पकड़ कर यदि उलटी दिशा में यात्रा किया जाये तो एक दिन वह यात्री असली चाँद पर पहुँच सकता है ठीक इसी तरह प्रकाशित सूचनाओं के माध्यम से उसे देखा जा सकता है जिसके के करण से उन सूचनाओं में प्रकाश की किरण फूट रही होती है / 

जरा गहराई में सोचना किसी दिन अकेले बैठ कर ----

हीरे में कौन चमक रहा होता है
सूर्य , चन्द्रमा , अग्नी में कौन चमक रहा है
ऊपर आकाश में तारों में कौन चमक रहा है

धीरे - धीरे जब यह सोच बुद्धि से उठ कर ह्रदय में पहुंचेगी , उसी वक्त पता चल जाएगा कि परम प्रकाश  क्या है जैसे आदि गुरु नानक जी  साहिब को पता चल गया और आगे जीवन भर उस प्रकाश की खोज में भागते रहे और हम सब  को भी बताते रहे कि ----

वह स्वप्रकाशित है 
खोजो उसे 
देखो उसे , अपनें ह्रदय में 

==== एक ओंकार =====



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