[
11 ho
does recite ?
सुमिरन
वह करता है ----
- जिसको राग में बैराग्य दिखता है .... - 4.10
- जो भोग को समझ कर योग की ओर चलना चाहता है .... - 7.11
- जो समभाव वाला हो .... - 2.56 , 2.57
- जो जन्म जीवन एवं मृत्यु में सम भाव रहता हो .... - 2.11
- जिसके पीठ के पीछे भोग हो और आँखों में प्रभु बसा हो .... - 2.69
गुरु
साहिब कहते हैं
तुम
जप करना प्रारम्भ तो करो ,
उसे अपनें जीवन से जोड़ो तो सही धीरे
धीरे
अभ्यास
से तुम वहाँ पहुँच जाओगे
जहां
------
- भोग की दौड़ न होगी
- चिंता का आवागमन न होगा
- तन मन एवं बुद्धि में होश होगा
- पुरे ब्रहांड में एक दिखेगा और वह होगाएक ओंकार
एक
ओंकार की धड़कन सुननें के लिए
आदि
गुरु जैसा ह्रदय चाहिए
और
यह
संभव है तब
----
जब
शरीर
मन
एवं बुद्धि में गुरु की उर्जा
का संचार हो रहा हो
,
और
गुरु
की ऊर्जा का श्रोत है
जपजी
का मूलमंत्र
====
एक
ओंकार =====
No comments:
Post a Comment