योगानन्द : कब और कहाँ (भाग - 01)
★ 1883 - 1905 तक 👇★
~~ 01 ~~ | ~~ 02 ~~ | ~~ 03 ~~ |
1883 - 1884 पिता जन्म : 1853 :: अंत - 1942 ° 1884 : माँ - पिता की दीक्षा
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°बड़े भाई अनंतका जन्म रंगून > 1883 ° बड़े भाईअनंत की शादी > 1906 ° बड़े भाई की मृत्यु - 1916 : 33 वर्ष में | ● पिताजी के ऑफिस के एक बाबू अविनाश बाबू मुकुण्ड के परिवार के अंग बन चुके थे । ● लाहिड़ी महाशय के शिष्य भी थे ● इनकी वजह से माँ - पिता लाहिड़ी महाशयके शिष्य बने थे ● गोरखपुर में मुकुण्डके प्रारंभिक 08 सालों में आध्यात्मिक ऊर्जा , भरते रहे , अविनाश बाबू ।। |
5.1.1893 : मुकुण्डका जन्म
| गोरखपुर , उत्तर प्रदेश
| कोलकाता - नागपुर रेलवे में पिता उच्च पदाधिकारी थे। ● 1900 में हैजे की बीमारी से बचने की कोई उम्मीद न थी । माँ लाहिड़ी महाशय की फोटो के सामने प्रार्थना करती रही अंततः मुकुण्ड ठीक हो गए |
1893 - 1900 : बचपन | ● गोरखपुरमें निवास रहा ●इच्छापुर कोलकतामे बीमार हुए ं | ● हैजे की बीमारी में ही माँ 1904 में आखिरी श्वास कोलकाता में ली थी। |
1900 - 1902 लाहौर > | एक साधू आया और माँ को बोला आज ध्यान करते समय तुम्हारे हाँथ में एक ताबिज़ आएगा , उसे सम्हाल करः रखना >>>>>> | > तुम्हारी मौत नज़दीक है । मौत के समय इसे बड़े बेटे को दे देना जो एक साल बाद मुकुण्ड को दे देगा । |
●1904 : माँ की मृत्यु इच्छापुर कोलकाता में ● 1905 - 1910 , गुरु दर्शन तक मुकुण्डको ताबीज़भगाता रहा । 50 Amherst street Serampore Ichchhapore ➡ ➡ ➡ ➡ | ● 1900 में लाहिड़ी महाशयकी फोटोकी प्रार्थना से माँ कालरा से मुकुण्ड को तो बचा लिया था पर 1904 में इसी बीमारी से उन | ● बरेली से मकान मालिक के पुत्र द्वारका के संग देहरादून पलायन। ● बरेली से काशी यात्रा : केदार बाबू के लिए पिताजी का पत्र लेकर । प्रणबानन्द दो शरीरी संत से मिले। |
1905 : माँ - मौत के 14 माह बाद ताबिज़ मुझे मिला जबकि साल बाद मिलना था।काशी में प्रणबा नन्द से मिले | ● योगी का मेरे लिए संदेश > यह ताबीज़ मुकुण्ड को उसके गुरु से मिला कर स्वतः वहां लौट जाएगा जहाँ से आया है , ऐसा ही 1910 में हुआ भी , काशी में | अनंत दा ताबीज़ मुझे देना नहीं चाहते थे पर ऐसा कर न सके । मेरे लिए ताबीज़ वाले योगी द्वारा माँ को दिए गए संदेश को भी अनंत दा मुझे दे दिए। |
क्रमशः भाग - 2 > 1905 से आगे ⬇
योगानन्द : कब और कहाँ भाग - 2
1905 - 1914 तक 👇
विवरण 1 | विवरण 2 | विवरण 3 |
1905 - 1908
पिता जी भेजे थे । प्रणबानंदजी बोले थे एकबार पुनः मैं तुमसे मिलूंगा । रांची में 1918 में मिले थे 13 - 14 साल बाद । | बरेली - कोलकाता : ● बरेली से हिमालय पलायन , 1904 - 1905 में ● हरिद्वार से अनंत दा वापिस लाये | योगियोसे मिलना > बाघ स्वामी , मास्टर महाशय , सर जगदीश चंद्र बोष , गंध स्वामी , नागेंद्र भादुड़ी केबलानंद , रामगोपाल मजूमदार एवं कुछ अन्य सिद्धि प्राप्त योगी । |
1910 केबलानंद संस्कृत गुरु
| ● हाई स्कूल पास कर काशी आ गये ● भारत धर्म मंडल में स्वामी दयानंद के पास रुके , ताबिज़ साथ था । 1906 - 1910 के मध्य बोस से मिले थे ।
| काशी , बंगाली टोला : स्वामी युक्तेश्वर जी के दर्शन हुए । ताबिज़ गायब हो गया । आगरा , वृन्दावन होते हुए सेरामपुर पहुँचे 1910 में । इसी समय अनंत डा आगरा में कार्यरत थे। उनके पास जा के रुके थे । जिनके साथ इनका मित्र जतिन मजूमदार भी था |
1910 गुरुके साथ रहते अभी 06 माह ही हुए थे कि पुनः हिमालय जाने की बात गुरु से की पर गए नहीं । रण बाजपुर रामगोपाल से मिलाने गए । | इंटर मीडिएट परीक्षा
1906 - 1910 के मध्य मिलते रहे , जबतक गुरु से नहीं मिले थे। | स्कॉटिश चर्च कॉलेज कोलकाता
1906 - 1910के मध्य नियमित रूप से मिलते थे |
1914 संन्यास , जुलाई 1914 | B. A. | सेरामपुर कॉलेज |
~~ क्रमशः 1914 से आगे …..⬇
योगानन्द > कब और कहाँ - 03 : : 1914 से आगे ⬇
1916 - 1924
समय | स्थान | विवरण |
1916 - 1917 | कोलकाता अनंत दा
| ● जापान यात्रा ● अनंत दा की टाइफाइड से मौत ●योगानंद जी दिहिका में विद्यालय खोले |
1918योगी कथामृत 27 | राँची | ● दिहिका विद्यालय , राँची स्थानान्तरिय । ● प्रणबानन्द जी विद्यालय आये । इनसे 13 साल पहले काशी में मिले थे । |
1920 योगीकथामृत 37 | अमेरिका गमन | ● बोस्टन सितंबर में पहुँचे |
901920 , 6 अक्टूबर | अमेरिका बोस्टन | ●सम्मेलन में ब्याख्यान |
1924 | अलास्का | अमेरिका भ्रमण , अलास्का गए |
~~ क्रमशः 1924 से आगे ⬇
योगानन्द कब और कहाँ भाग - 04
1925 - 1935
समय | स्थान | विवरण |
1925 | अमेरिका | ● माउंट वाशिंगटन : कार्यालय खोले |
1926 | अमेरिका | ● महान वनस्पति शास्त्री लूथर बारबैक का निधन 1935 : वर्धा : गांधी जी के साथ भोजन पर |
सितंबर 1929 | लंदन | Self realization fellowship व्याख्यान |
जुलाई 1935 | न्यूयार्क > भारत
| इंग्लैंड , फ्रांस , जर्मनी , इंजिप्त होते मुम्बई 22 अगस्त को पहुँचे। होटल ताजमहल >>
|
अगस्त 1935 | मुम्बई से वर्धा | गांधीजी से मिले , भोजन किये |
यहाँ तक ओके
योगानन्द कब और कहाँ ( भाग - 05 )
अगस्त 1935 - मार्च 1936
समय | स्थान | विवरण |
नवम्बर 1935 | कोलकाता > दक्षिण भारत | ● मैसूर > हैदराबाद , बैगलोर , अजंता , एलोरा , सर सी वी रमण से भेंट |
जनवरी 1936 करपात्रीजी से मिले करपात्री - जन्म 1907 | प्रयाग कुम्भ | ° उस स्थान को खोजा जहाँ 1994 के कुम्भ में महावतार बाबा जी के दर्शन श्रीयुक्तेश्वर जी को हुए थे । ° करपात्री जी 29 साल के थे और भ्रमणकारी स्वामी थे । अभी कोई आश्रम नहीं बना था । काशी में लाहिड़ी महाशय जी की पत्नी काशीमणी से मिले। |
फरवरी - मार्च 1936 | प्रयाग > वृन्दावन > कोलकाता > पूरी कात्यायनी पीठ वृन्दावन | प्रयाग > आगरा > वृन्दावन : : ब्रह्मचारी केशवानांद जी के साथ कात्यायनी पीठ में रात रुके । केशवानांद जी 90 वर्ष के थे ।07 मार्च को पूरी में श्रीयुक्तेश्वरजी महासमाधि में जब उतरे तब योगानन्द वहाँ न थे । पूरी रेलवे स्टेशन पर पहुँचने पर किसी अनभिज्ञ से पता चला कि गुरु नहीं रहे…..।। ॐ ।।……… आनंद मयी से कोलकता में मिले थे।गिरिबाला से उनके घर जा के मिले थे । रांची से कार से गए थे । |
योगानन्द कब और कहाँ ( भाग - 6 )
मार्च 1936 से …...👇
समय | स्थान | विवरण |
जून 1936 | मुम्बई रीजेंट होटल | अमेरिका वापसी : यात्रा स्थगित : |
16 जून 1936 और प्रभु श्री कृष्ण के दर्शन हुए | मुम्बई रीजेंट होटल ●प्रयाग कुम्भ मेले में योगानन्द इसलिए जाना चाहे जिससे वे महावतार बाबा जी से ठीक उस प्रकार मिल सकें जैसे 1894 के कुम्भ में युक्तेश्वर जी से बाबाजी मील थे ।जाते समय युक्तेश्वर जी बस इतना बोले कि इस बार मेले में बाबा जी नहीं आ रहे …. | ● कोलकाता से मुम्बई पहुँचने के एक सप्ताह बाद सामने के मकान के छत पर प्रकाश पुंज से प्रभु श्री कृष्ण प्रकट हुए और मुझसे कुछ बोले जिसे मैं न समझ सका । वे मुस्कुराते हुए अव्यक्त हो गए । मेरे कमरे में श्रीयुक्तेश्वर जी स्थूल शरीर के साथ प्रकट हुए । मैं उन्हें गले लगा कर बोला , आप मुझे प्रयाग कुम्भ जानें से मन क्यों नहीं किया ? |
सितंबर 1936 | एक सप्ताह इंग्लैंड में रुके | Self realization fellowship के कई प्रोग्राम में भाग लिए । |
अक्टूबर 1936 | अमेरिका पहुँच गए | |
1937 | कैलिफोर्निया सागर तट पर आश्रम | 1935 - 36 भारत यात्रा समयावधि में यह आश्रम तैयार हो गया । |
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योगानंद का परिवार ⬇️
नाम.. | जन्म.. | देह त्याग.. |
भगवती चरण घोष ( पिता , उम्र - 89 ) | 1853 लाहिड़ी महाशय से दीक्षा : 1884 | 1942 |
माँ ज्ञान प्रभा (48 ) | 1856महाशय जी की शिष्या | 1904 |
बड़े भाई अनंत (33) | 1883 ( रंगून ) | 1916 |
बहन रोमा ( 50 ) | 1887 | 1937 |
बहन उमा | 1890 | --- |
योगानंद (69 ) | 1893 | 1952 U.S.A. |
बहन नलिनी | 1895 | --- |
भाई सनंद (83 ) | 1896 | 1979 |
बहन (76 ) | 1902 | 1978 |
भाई विष्णु ( 67 ) | 1903 | 1970 |
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~~◆◆ समाप्त ◆◆~~
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