Wednesday, October 6, 2021

क्रियायोगी योगानंद

 


योगानन्द : कब और कहाँ (भाग - 01)      

 ★ 1883 - 1905 तक 👇★

~~ 01 ~~

~~ 02 ~~

~~ 03 ~~

1883 - 1884 पिता

पिता जन्म : 1853 :: अंत - 1942

° 1884 : माँ - पिता की दीक्षा

महाशय जी जन्म > 1828


बड़े भाई के साथ….

°बड़े भाई अनंतका जन्म रंगून > 1883

° बड़े भाईअनंत की शादी > 1906

° बड़े भाई की मृत्यु - 1916 : 33 वर्ष में 

● पिताजी के ऑफिस के एक बाबू

अविनाश बाबू मुकुण्ड के परिवार के अंग बन चुके थे । 

● लाहिड़ी महाशय के शिष्य भी थे

● इनकी वजह से माँ - पिता लाहिड़ी महाशयके शिष्य बने थे

● गोरखपुर में मुकुण्डके प्रारंभिक 08 सालों में आध्यात्मिक ऊर्जा , भरते रहे , अविनाश बाबू ।।

5.1.1893 : मुकुण्डका जन्म

पिता 41 वर्षके थे

गोरखपुर , उत्तर प्रदेश

हिमालयके समीप स्थित

कोलकाता - नागपुर रेलवे में पिता उच्च पदाधिकारी थे।

● 1900 में हैजे की बीमारी से बचने की कोई उम्मीद न थी । माँ लाहिड़ी महाशय की फोटो के सामने प्रार्थना करती रही अंततः मुकुण्ड ठीक हो गए

1893 - 1900 : बचपन

● गोरखपुरमें निवास रहा 

●इच्छापुर कोलकतामे बीमार हुए ं

● हैजे की बीमारी में ही माँ 1904 में आखिरी श्वास कोलकाता में ली थी।

1900 - 1902

लाहौर >  ताबिज़

एक साधू आया और माँ को बोला

आज ध्यान करते समय तुम्हारे हाँथ में एक ताबिज़ आएगा , उसे सम्हाल करः रखना >>>>>>

> तुम्हारी मौत नज़दीक है । मौत के समय इसे बड़े बेटे को दे देना जो एक साल बाद मुकुण्ड को दे देगा । 


1904 : माँ की मृत्यु

इच्छापुर कोलकाता में

● 1905 - 1910 , गुरु दर्शन तक मुकुण्डको ताबीज़भगाता रहा ।


50 Amherst street

Serampore

Ichchhapore    ➡ ➡ ➡ ➡

1900 में लाहिड़ी महाशयकी फोटोकी प्रार्थना से माँ कालरा से मुकुण्ड को तो बचा लिया था पर 1904 में इसी बीमारी से उनकी मृत्यु हुई ।1905 में ताबीज़ मुझे अनंत डा दिए।

● बरेली से मकान मालिक के पुत्र द्वारका के संग देहरादून पलायन।

बरेली से काशी यात्रा :  केदार बाबू के लिए पिताजी का पत्र लेकर । प्रणबानन्द दो शरीरी संत से मिले। 

1905 : माँ - मौत के 14 माह बाद ताबिज़ मुझे मिला जबकि साल बाद मिलना था।काशी में प्रणबा नन्द से मिले

योगी का मेरे लिए संदेश > यह ताबीज़ मुकुण्ड को उसके गुरु से मिला कर स्वतः वहां लौट जाएगा जहाँ से आया है , ऐसा ही 1910 में हुआ भी , काशी में

अनंत दा ताबीज़ मुझे देना नहीं चाहते थे पर ऐसा कर न सके । मेरे लिए ताबीज़ वाले योगी द्वारा माँ को दिए गए संदेश को भी अनंत दा मुझे दे दिए।

क्रमशः भाग - 2 > 1905 से आगे


योगानन्द : कब और कहाँ  भाग - 2 

1905 - 1914 तक 👇

विवरण

 1

विवरण 2

विवरण  3

1905 - 1908

प्रणवानंद जी से काशी में 1905 में मिले

पिता जी भेजे थे । प्रणबानंदजी बोले थे एकबार पुनः मैं तुमसे मिलूंगा । रांची में 1918 में मिले  थे 13 - 14 साल बाद ।

बरेली - कोलकाता : 

बरेली से हिमालय पलायन , 1904 - 1905 में 

● हरिद्वार से अनंत दा वापिस लाये




योगियोसे मिलना > बाघ स्वामी , मास्टर महाशय , सर जगदीश चंद्र बोष , गंध स्वामी , नागेंद्र भादुड़ी केबलानंद , रामगोपाल मजूमदार 

एवं कुछ अन्य सिद्धि प्राप्त योगी ।

1910

केबलानंद संस्कृत गुरु

संस्कृत ट्यूटर स्वामी केबलानंद के साथ मुकुन्द

● हाई स्कूल पास कर काशी आ गये

भारत धर्म मंडल में स्वामी दयानंद के पास रुके , ताबिज़ साथ था । 1906 - 1910 के मध्य बोस से मिले थे ।

J.C. Bose

काशी , बंगाली टोला : स्वामी युक्तेश्वर जी के दर्शन हुए । ताबिज़ गायब हो गया । आगरा , वृन्दावन होते हुए सेरामपुर पहुँचे 1910 में । इसी समय अनंत डा आगरा में कार्यरत थे। उनके पास जा के रुके थे । जिनके साथ इनका मित्र जतिन मजूमदार भी था 


रामगोपाल मजूमदार

1910 गुरुके साथ रहते अभी 06 माह ही हुए थे कि पुनः हिमालय जाने की बात गुरु से की पर गए नहीं । रण बाजपुर रामगोपाल से मिलाने गए ।

इंटर मीडिएट परीक्षा

मास्टर महाशय

1906 - 1910 के मध्य मिलते रहे , जबतक गुरु से नहीं मिले थे।

स्कॉटिश चर्च कॉलेज  कोलकाता

भादुरी महाशय

1906 - 1910के मध्य नियमित रूप से मिलते थे 

1914

संन्यास , जुलाई 1914

B. A.

सेरामपुर कॉलेज

~~ क्रमशः 1914 से आगे …..⬇



योगानन्द > कब और कहाँ - 03 : :  1914 से आगे

1916 - 1924

समय

स्थान

विवरण

1916 - 1917

कोलकाता  

अनंत दा                

         

                             


● जापान यात्रा ● अनंत दा की टाइफाइड से मौत 

●योगानंद जी  दिहिका में विद्यालय खोले 



1918योगी कथामृत 27

राँची

● दिहिका विद्यालय , राँची स्थानान्तरिय ।

● प्रणबानन्द जी विद्यालय आये । इनसे 13 साल पहले काशी में मिले थे ।

1920 योगीकथामृत 37

अमेरिका गमन 

● बोस्टन सितंबर में पहुँचे 

901920 , 6 अक्टूबर

अमेरिका बोस्टन

●सम्मेलन में ब्याख्यान   

1924

अलास्का

अमेरिका भ्रमण , अलास्का गए

~~ क्रमशः 1924 से आगे ⬇


योगानन्द कब और कहाँ  भाग - 04 

1925 - 1935


समय

स्थान

विवरण

1925

अमेरिका

● माउंट वाशिंगटन  : कार्यालय खोले

1926  

अमेरिका   

● महान वनस्पति शास्त्री लूथर बारबैक का निधन


1935 : वर्धा : गांधी जी के साथ भोजन पर


    

सितंबर 1929

लंदन

Self realization fellowship व्याख्यान

जुलाई 1935

न्यूयार्क > भारत

Therese Neumann

इंग्लैंड , फ्रांस , जर्मनी , इंजिप्त होते मुम्बई 22 अगस्त को पहुँचे। होटल ताजमहल >>

ताज महल होटल , मुम्बई 

अगस्त 1935

मुम्बई से वर्धा 

गांधीजी से मिले , भोजन किये  


यहाँ तक ओके

















योगानन्द कब और कहाँ ( भाग - 05 )

अगस्त 1935 - मार्च 1936

समय

स्थान

विवरण

नवम्बर 1935

कोलकाता > दक्षिण भारत

 मैसूर > हैदराबाद , बैगलोर , अजंता , एलोरा ,  सर सी वी रमण से भेंट 

जनवरी 1936

करपात्रीजी से

मिले 

करपात्री - जन्म

1907

प्रयाग कुम्भ

° उस स्थान को खोजा जहाँ  1994 के कुम्भ में महावतार बाबा जी के दर्शन श्रीयुक्तेश्वर जी को हुए थे ।

° करपात्री जी 29 साल के थे और भ्रमणकारी स्वामी थे । अभी कोई आश्रम नहीं बना था ।

काशी में लाहिड़ी महाशय जी की पत्नी काशीमणी से मिले।

फरवरी - मार्च 1936    ब्रह्मचारी केशवानंद


प्रयाग > वृन्दावन > कोलकाता > पूरी


कात्यायनी पीठ वृन्दावन

प्रयाग > आगरा > वृन्दावन : : ब्रह्मचारी केशवानांद जी के साथ कात्यायनी पीठ में रात रुके । केशवानांद जी 90 वर्ष के थे ।07 मार्च को पूरी में श्रीयुक्तेश्वरजी महासमाधि में जब उतरे   तब योगानन्द वहाँ न थे । पूरी रेलवे स्टेशन पर पहुँचने पर किसी  अनभिज्ञ से पता चला कि गुरु  नहीं रहे…..।। ॐ ।।………

      आनंद मयी से कोलकता में मिले थे।गिरिबाला से उनके घर जा के मिले थे । रांची से कार से गए थे ।                                                     


         आनंदमयी माँ + गिरी बाला.




योगानन्द कब और कहाँ  ( भाग - 6 )

मार्च 1936 से …...👇


समय

स्थान

विवरण

जून 1936

मुम्बई रीजेंट होटल

अमेरिका वापसी : यात्रा स्थगित : 

16 जून 1936 Regent Hotel Mumbai  अमेरिका की वापसी , यहाँ युक्तेश्वर की आत्मा मिली

और प्रभु श्री कृष्ण के दर्शन हुए

मुम्बई रीजेंट होटल

प्रयाग कुम्भ मेले में योगानन्द इसलिए जाना चाहे जिससे वे महावतार बाबा जी से ठीक उस प्रकार मिल सकें जैसे 1894 के कुम्भ में युक्तेश्वर जी से बाबाजी मील थे ।जाते समय युक्तेश्वर जी बस इतना बोले कि इस बार मेले में बाबा जी नहीं आ रहे ….

● कोलकाता से मुम्बई पहुँचने के एक सप्ताह बाद सामने के मकान के छत पर प्रकाश पुंज से प्रभु श्री कृष्ण प्रकट हुए और मुझसे कुछ बोले जिसे मैं न समझ सका । वे मुस्कुराते हुए अव्यक्त हो गए । मेरे कमरे में श्रीयुक्तेश्वर जी स्थूल शरीर के साथ प्रकट हुए । मैं उन्हें गले लगा कर बोला , आप मुझे प्रयाग कुम्भ जानें से मन क्यों नहीं किया ?

सितंबर 1936

एक सप्ताह  इंग्लैंड में रुके

Self realization fellowship के कई प्रोग्राम में भाग लिए ।

अक्टूबर 1936

अमेरिका पहुँच गए 


1937

कैलिफोर्निया सागर तट पर आश्रम

1935 - 36 भारत यात्रा समयावधि में यह आश्रम तैयार हो गया ।



क्रियायोग स्लाइड - 1


क्रियायोग स्लाइड - 02



क्रियायोग स्लाइड - 03





क्रियायोग स्लाइड - 04









क्रियायोग स्लाइड - 05




क्रियायोग स्लाइड - 06


क्रियायोग स्लाइड - 07


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क्रियायोग स्लाइड - 09



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क्रियायोग स्लाइड - 11


क्रियायोग स्लाइड - 12



योगानंद का परिवार ⬇️

नाम..

जन्म..

देह त्याग..

भगवती चरण घोष

( पिता , उम्र - 89 )

1853

लाहिड़ी महाशय से दीक्षा : 1884

1942

माँ ज्ञान प्रभा (48 )

1856महाशय जी की शिष्या

1904

बड़े भाई अनंत  (33)

1883 ( रंगून )

1916

बहन रोमा ( 50 )

1887

1937

बहन उमा

1890

---

योगानंद 

(69 )

1893

1952 U.S.A.

बहन नलिनी

1895

---

भाई सनंद (83 )

1896

1979

बहन  (76 )

1902

1978

भाई विष्णु ( 67 )

1903

1970


क्रियायोग स्लाइड - 13

~~◆◆ समाप्त ◆◆~~

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