Thursday, August 15, 2013

भागवतसे ..... 03

भागवतमें गंगा -- 02
सन्दर्भ : भागवत : खंड - 01 माहात्म्य + 1.13 + 1.19 + 3.20 + 6.4 + 9.22 + 9.23
एक सोच :

  • त्रेता युगमें सरयू अयोध्याको अपनेंमें बिलीन कर लिया था 
  • द्वापरमें अरब सागर जिसमें द्वारका एक 48 बर्ग मील का टापू था , उसे अपनेंमें बिलीन कर लिया 

और 

  • हस्तिना पुर जो गंगाके तट पर सम्पूर्ण पृथ्वी की राजधानी के रूप में था उसे गंगा बहा ले गयी 

इस बात से ----

  • काल की गति स्पष्ट होती है 

और
 काल की गति अर्थात प्रकृतिमें हर पल हो रहा बदलावसे एक ध्वनि निकलती है
 जिसको यदि वैज्ञानिक पकड़ सकें तो वह धुन है
 एक ओंकार की 

पीछले अंक में आप देखे की गंगा मेरु पर्वत पर उतरते ही 04 रूपों में विभक्त होजाती है और जिस गंगा को हम सब भारतीय समझते हैं वह गंगा अलकनंदाके रूप में हेम कूट पर्वत और हिमालय को पार करती हुयी भारत वर्ष में प्रवेश करती हैं और गंगा सागर संगम से हिंद महासागर में उतर कर सागर बन जाती है /
अब कुछ और बातें भागवत से ही :-----
1- सांतनु जो यदि भूल कर भी किसी बृद्ध को स्पर्श कर देते थे तो वह युवा हो उठत था , उनसे और गंगा से भीम का जन्म हुआ /
2- गंगा हिमायायके दक्षिणमें सप्त ऋषियों के लिए सात भागों में विभक्त हो जाती हैं  जिसको सप्त श्रोत कहते हैं / यह वह जगह है जहाँ हार समय सिद्ध योगी रहते हैं और इस स्थान पर धृत राष्ट्र एवं गांधारी अपना आपना शरीर त्याग किया था /
3- कुशावर्त क्षेत्र जो गंगा द्वार [ हरिद्वार ] के समीप है , वहाँ मैत्रेय ऋषि का आश्रम हुआ करता था , जहाँ विदुर को तत्त्व - ज्ञान मिला था 
4- गंगा द्वार के समीप ही आनंद तट जहाँ नारद को सनकादि ऋषि भागवत की कथा सुनायी थी  /
5- गंगा के तट पर विन्ध्याचल एक शक्ति पीठ है मिर्ज़ापुरके पास , वहाँ पहाड़ों में एक अघमर्षण तीर्थ हुआ करता था जहाँ प्रजापति दक्ष घोट तप किये थे /
6- गंगा में पेटारी में रखा हुआ एक बच्चा अधीरत को मिला था जो कुंती का पुत्र कर्ण था
 और अधीरत निःसंतान थे /
7- परीक्षित से आजतक का समय [ भागवत : 12.1-12..2 ] 3450 वर्ष हो चुका है [ 2013 तक ] /
8- परीक्षित के बाद पांचवीं पीढ़ी में नेभीचक्र सम्राट हुए जिनके समय में गंगा हस्तिनापुरको बहा ले गयी थी  और नेभिचक्र प्रयागके पास कौशाम्बीमें अपनी राजधानी बसायी थी /कौशाम्बी बुद्धके समय सर्व संपन्न ब्यापारिक केन्द्र था , जहाँ प्रायः बुद्ध आया करते थे /
9- जनमेजय याज्ञवल्क्य एक महान गणितज्ञ एवं  खगोल शात्री से शिक्षा ग्रहण की थी 

=== ओम् ====

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