Thursday, March 25, 2021

अखियाँ हरि दर्शन को प्यासी

 महान दार्शनिक सी जे जुंग कहते हैं , " 40 वर्ष की उम्र पर किये लोगों में शायद ही कोई ऐसा मिले जिसके अंदर किसी न किसी रूप में परमात्माके सोच का बीज न होता हो । परम से एकत्व होना , परामानांद है जिसकी तलाश हम बाहर करते - करते सारा जीवन योंही गुजार देते हैं जबकि उसकी अनुभूति तब होती है जब हम बाहर से अपनें अंदर की यात्रा करते हैं । बाहर से अंदर की यात्रा में 12 पड़ाव आते हैं जहाँ रुकना नहीं होता , जिसमें स्वयं को घुलाना होता है ।

आइये ! देखते हैं , इन पड़ावों को यहाँ 👇



No comments:

Post a Comment