Friday, February 21, 2014

कुरुक्षेत्र

Title :<> कुरुक्षेत्र भाग - 01 <> 
 Content: <>कुरुक्षेत्र <> 
1- भागवत स्कन्ध - 5
 ** जम्बू द्वीप का भूगोल शुकदेव जी परीक्षितको जम्बू द्वीपके भूगोलके सम्बन्ध में कुछ अहम बातें बतायी हैं जिनमें से कुछ को हम यहाँ देखते हैं ।
 क - जम्बू द्वीप 09 वर्षों का भू खंड है जिसमें 09 पर्वत वर्षों की सीमाएं बनाते हैं । 
ख- जम्बू द्वीपके केंद्र में इलाबृत्त वर्ष है जिसके मध्य में मेरु पर्वत है । मेरु पर्वत के ऊपर ब्रह्मा की नगरी है और उसके चारों दिशाओं में इंद्र आदि 08 लोकपालों की पुरियां हैं । मेरु के ऊपर गंगा उतरती हैं और चार भागों में विभक्त हो जाती हैं । पूर्व में बहनें वाली धारा सीता कहलाती है ,पश्चिम में बहनें वाली धारा चक्षु कहलाती है , उत्तर में जो बहती है उसे भद्रा कहते हैं और दक्षिण में जो बहती है उसे अलखनंदा कहते हैं ।
 ग- जम्बू द्वीप के दक्षिण से उत्तर की ओर का भूगोल कुछ इसप्रकार है जिसमें कुरु वर्ष आता है। 
ग-1> दक्षिण से उत्तर की ओर क्रमशः भारत वर्ष , हिमालय पर्वत , किम्पुरुष वर्ष ,हेमकूट पर्वत , हरिवर्ष , निषध पर्वत , मध्य में मेरु पर्वत और इलाबृत्त वर्ष है , मध्य से उत्तर में नील , श्वेत और श्रृंगवान पर्वत हैं तथा रम्यक ,हिरण्य एवं कुरु वर्ष हैं ।अब ज़रा सोचिये कि ---
 घ- हिमालय के उत्तर में क्रमशः किम्पुरुष ,हरिवर्ष , इलाबृत्त, रम्यक , हिरण्य और फिर सबसे उत्तर में आता है कुरु वर्ष जिसके उत्तर में सागर है । गंगा की उत्तरी धारा भद्रा कुरु वर्ष से होती हुयी कुरुके उत्तरमें स्थित सागर से जा मिलती है ।
 च- अब आप समझें कि कुरु वर्ष की स्थिति क्या हो सकती है ? ** कुरु हिमालय के उत्तर में पृथ्वीके आखिरी छोर पर समुद्रके किनारे का देश हुआ करता था । हिमालय के दक्षिण में सागर तक भारी वर्ष हुआ करता था जो आजका भी भारतवर्ष है । हिमालय के उत्तर में दो वर्षो के बाद आखिरी समुद्र तट का वर्ष होता था कुरु ,इसकी स्थिति को आप स्वयं समझें । 
<> अगले अंक में कुरुक्षेत्र का भूगोल भागवत के संदर्भ में देखा जा सकता है
 <> ~~ हरि ॐ ~~

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