Sunday, June 17, 2012

गरुण पुराण अध्याय दस भाग तीन

गरुण पुराण अध्याय दस भाग तीन में देखते हैं विष्णु भगवान गरुण जी को क्या उपदेश दे रहे हैं /

सती के सम्बन्ध में

  • गर्भवती स्त्री को सात नहीं होना चाहिए

  • सती स्वर्ग में चौदह इन्द्रों के राज्य काल तक अपनें पति के साथ रमण करती है

  • स्वर्ग में अपसराओं के द्वारा पूजित होती है

  • पिता एवं पति दोनों के कुल को पवित्र करती है

  • साढ़े तीन करोड सालों तक सती स्वर्ग में अपनें पति के साथ रमण करती है

  • मनुष्य के देह में साढ़े तीन करोड रोम होते हैं

    सती की तैयारी

  • पति के साथ ही पत्नी का भी दाह एक साथ होता है

  • सती हो रही स्त्री को घर पर स्नान करना चाहिए

  • वस्त्र एवं आभूषणों से स्वयं को नवविवाहिता की तरह सजाना चाहिए

  • नारियल के साथ मंदिर जा कर पूजन करना चाहिए

  • मंदिर में अपनें आभूषणों को छोड़ देना चाहिए

  • नारियल को ले कर श्मशान जाना चाहिए

  • सती को अपनें पति के साथ चिता में बैठना चाहिए और उसकी गोदी में पति का सिर रहे

  • चिता में बैठते समय चिता की परिक्रमा करे और सूर्य को नमस्कार करे

  • चिता में अग्नि लगानें के लिए उसे आदेश देना चाहिते

  • आधा देह जलानें के बाद कपाल क्रिया कहते हैं

    कपाल क्रिया

  • बॉस से पति के सिर को तोडना चाहिए और सती के सिर को नारियल से

    अगले अंक में भाग चार को देखा जायेगा , अभी इतना ही

===== ओम्=======





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