Friday, June 1, 2012

गरुण पुराण अध्याय दस भाग एक

गरुण पुराण अध्याय – 10 का प्रारम्भ गरुण जी के निम्न प्रश्न से हो रहा है ---------

श्री गरुण जी पूछ रहे हैं ….....

हे प्रभु ! आप कृपया मुझे मनुष्य के शरीर – दाह का बिधान बताएं और यदि उसकी पत्नी सती हो तो उस सती की महिमा भी बताएं /

दाह संस्कार से सम्बंधित गरुण पुराण में दी गयी बातें-----

  • या तो सबसे बढ़े पुत्र या सबसे छोटे पुत्र द्वारा पिता - माँ के देह का दाह संस्कार होना चाहिए

  • दाह संस्कार करनें से पुत्र को पितृ - ऋण से मुक्ति मिलती है

  • पिता के मौत के ठीक बाद सभीं पुत्रों द्वारा सर – मुंडन करवाना चाहिए

  • नाखून एवं बगल के बालों को नहीं कटवाना चाहिए

  • साफ़ – धुले वस्त्र को धारण करें

  • मृतक को स्नान करानें

  • मृतक को प्रेत शब्द से संबोधन करते हैं

  • मृतक के मस्तक पर गंगा जी की मिटटी का लेप करें

  • अमुक नाम प्रेत संबोधन से उसका पिण्ड दान करें

  • पुनः द्वार पर उसका पिण्ड दान करें

  • द्वार पर प्रेत का पूजन करें

  • अर्थी को कंधा दे कर श्मशान ले जाएँ

  • अर्थी को कंधा देनें से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है

  • घर एवं श्मशान के मध्य पहुंचनें पर उस स्थान पर रुके

  • उस स्थान को साफ़ करके गौ के गोबर से लेप करें

  • यहाँ प्रेत को विश्राम कराएं

  • यहाँ पुनः पिण्ड दान देन

  • श्मशान में प्रेत का सर उत्तर दिशा में रखना चाहिए

अगले अंक में आगे की बातें मिलेंगी

===== ओम्======



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