Saturday, June 11, 2011


गीताके 200 सूत्र


यहाँ इस श्रृखला मे देखिये निम्न सूत्रों को------


7.4 , 7.5 , 7.6 , 13.6 , 13.7 , 14.3 , 14.4 , 14.27 , 13.20 , 15.16


सूत्र 7.4 – 7.6तक


सूत्र कहते हैं ….


अपरा प्रकृत्ति के आठ तत्त्व;पञ्च महाभूत[प्रथ्वी,जल,अग्नि,वायु एवं आकाश] ,मन,


बुद्धि एवं अहंकार तथा परा प्रकृति[चेतना]ब्रह्म,आत्मा एवं प्रभु से जीव हैं/


सूत्र 13.6 , 13.7


यहाँ सूत्र कहते हैं …...


अपरा एवं परा प्रकृति,ब्रह्म,आत्मा-परमात्मा के साथ दस इन्द्रियाँ,पांच इन्द्रिय बिषय,


सभीं द्वैत्य,सभीं विकारों के साथ जीव शरीर के साथ हैं/


गीता सूत्र 14.3 – 14.4 , 14.27


ये सूत्र कहते हैं …..


ब्रह्म जो अब्यय है,शाश्वत है प्रभु के अधीन है वह जीव का बीज धारण करता है और


बीज स्वयं प्रभु हैं/


सूत्र 13 .20


प्रकृति-पुरुष का योग ही जीव है;दोनों सनातन शाश्वत हैं अनादि हैं,सभीं विकार प्रकृति से हैं/


सूत्र 15.16


क्षर एवं अक्षर दो प्रकार के पुरुष हैं;देह क्षर है और देह में आत्मा अक्षर है//


गीता के दस सूत्रों को आप गीता में देखें और …..


इन सूत्रों पर अपना मन एवं बुद्धि को केंद्रित करें//


धीरे-धीरे गीता के सूत्र आप के मन मे बसनें लगेंगे और आप


एक भोगी से योगी के रूप मे रूपांतरित होनें लगेंगे//




====ओम=====




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