Thursday, June 16, 2011

गीता के दो सौ ध्यान सूत्र

अगले कुछ सूत्र

सूत्र –15.17

क्षर – अक्षर से परे मैं हूँ . प्रभु कह रहे हैं //

सूत्र –14.19

तीन गुणों से अछूता ब्यक्ति मुझे समझता है //

सूत्र – 14.5

तीन गुण आत्मा को देह में रोक कर रखते हैं //

सूत्र –14.10

तीन गुणों का अमिकरण मनुष्य का संचालक है ; जब एक गुण शक्तिशाली होता है तब अन्य दो

कमजोर हो जाते हैं //

सूत्र –3.5 , 3.27 , 3.33

तीन गुण कर्म कर्ता हैं कर्ता भाव अहंकार से आता है , गुणों से स्वभाव बनाता है और

स्वभाव से कर्म होता है //

गीता के कुछ सूत्र आप को दिए जा रहे हैं जो आप को रह रह कर याद दिलाते रहेंगे ,

यह जाननें के लिए कि आप की यात्रा का रुख किधर का होना चाहिए और

वर्त्तमान में किधर को है //


==== ओम ======


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