Saturday, April 16, 2011

संन्यासी कौन


गीता के दो सौ साधना सूत्रों की श्रृंखला में यह 26 वां सूत्र है ,

आइये देखते हैं … ..

सूत्र –5.3

ज्ञेयः स:नित्य संन्यासी

:न द्वेष्टि न काङ्क्षति

निः द्वन्द्वः हि महाबाहो

सुखं बंधात प्रमुच्यते||


उसे संन्यासी कहना चाहिए जो----

द्वेष रहित हो

द्वंद्व रहित हो

कामना रहित हो

ऐसा योगी कर्म बंधनों से मुक्त खुश रहता है ||


He who neither loathes nor desires, unaffected by dualities , free from

bondage , is a true yogin and he remains happy under all circumstances.


==== ओम ========


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