Saturday, May 1, 2021

पतंजलि समाधि पाद सूत्र : 1 - 4

नीचे दी गयी स्लाइड में दो तत्त्वों को दिखाया गया है ⤵️

1 - पतंजलि योग दर्शन में 04 पाद हैं , और प्रत्येक पाद में सूत्रों की संख्या क्या है ? और ....

2 - समाधि पाद के प्रारंभिक 04 सूत्र क्या कहते हैं ?

एक सिद्ध योगी के शब्दों और एक मेरे जैसे व्यक्ति के शब्दों में क्या फर्क होता है ? इस बात को बड़ी आसानी से यहाँ देखा जा सकता है । 

सिद्ध योगी के शब्द प्राणमय  होते हैं और जब वही शब्द हम जैसों के हाँथ में आते हैं तब वे निष्प्राण हो जाते हैं । प्राणमय और निष्प्राण शब्दों में क्या फर्क है ? प्राणमय शब्दों के पढ़ने पर संदेह और अहँकार की ऊर्जा समाप्त हो जाती है और तन - मन - बुद्धि में श्रद्धा - विश्वास और समर्पण की ऊर्जा बहने लगती है और ऐसा आभाष होने लगता है मानो हम जिसे खोज रहे हैं , वह हमारे सामने ही खड़ा है । दूसरी ओर वही शब्द जब हम जैसे प्रयोग करते हैं तब पढ़ने वाले के अंदर आलस्य , अरुचि और अन्य राजस - तामस गुणों के भाव बहने लगते हैं ।

देखिये समाधि पाद के प्रारंभिक 04 सुत्रों को जो एकदम गणित के सूत्र जैसे हैं ।

सूत्र - 1 कह रहा है , योग अनुशासनं है , सूत्र - 2 कह रहा है , इससे चित्त वृत्ति निरोधित होती हैं , सूत्र - 3 कह रहा है - ऐसा होने पर हमारे अंदर स्थित पुरुष अपनें मूल स्वरूप में लौट आता है और सूत्र - 4 से स्पष्ट होता है कि चित्त - वृत्ति के प्रभाव में पुरुष वृत्तिस्वरूपाकार जो जाता है ।

अब  आप देखिये कि महर्षि के वचन को पढ़ने - सुनने से क्या कोई भ्रम या संदेह उत्पन्न हो रहा है ! 

~~अगले अंक में आगे के सूत्रों को देखा जाएगा ~~

 


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