गीता परम शांति सूत्रों की दो सौ श्लोकों कि यह श्रृंखला आप को गीता के सात सौ श्लोकों
में से ऐसे श्लोकों को दे रही है जो -----
कर्म – योग …..
ज्ञान – योग …..
कर्म – बिभाग एवं गुण – बिभाग की अहंम बातों को स्पष्ट करते हैं|
आइये चलते हैं अगले सूत्रों में --------
गीता सूत –2.56
राग , भय एवं क्रोध रहित ब्यक्ति समभाव – योगी होता है ||
गीता सूत्र –4.10
राग , भय एवं क्रोध रहित ब्यक्ति ज्ञानी होता है ||
अब ऊपर के दो सूत्रों को एक साथ देखिये जो कह रहे हैं------
राग , भय एवं क्रोध रहित ब्यक्ति ज्ञानी और समभाव – योगी होता है ||
अब देखिये , राग , भय एवं क्रोध हैं क्या ?
राग और क्रोध तो राजा-गुण के तत्त्व है और भय है तामस – गुण का तत्त्व||
अर्थात-----
यहाँ दो सूत्रों में गीता कह रहा है :---------
राजस एवं तामस गुणों की छाया में रहता हुआ ब्यक्ति कभी ज्ञानी नहीं हो सकता और
उसके अंदर सम – भाव की धारा नही बहती जजो सीधे प्रभु में पहुंचाती है||
======ओम=========
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