Gita Param Shanti Sutra
गीता परम शांति सूत्र
यहाँ हम गीता परम शांति सूत्रों क श्रृंखला में उन सूत्रों को देख रहे हैं जिनका सम्बन्ध है ,
गीता सूत्र – 8.3 में दिए गए कर्म की परिभाषा को स्पष्ट करते हैं | गीता सूत्र – 8.3 में प्रभु
कहते हैं ------
भूतभाव:उद्भव कर:विशार्ग:कर्म संज्ञित:
हम इस सूत्र के सम्बन्ध में निम्न सूत्रों को एक साथ देखते हैं -------
[ क ] सूत्र – 2.51
कर्म फल की चाह जिस कर्म में न हो वह कर्म मुक्ति का द्वार होता है |
[ ख ] सूत्र – 2.48
आसक्ति रहित कर्म समत्त्व – योग होता है |
[ग]सूत्र –5.19
समत्त्व – योगी ब्रह्म में होता है |
समत्त्व का अर्थ है भाव रहित मन – बुद्धि स्थिति …...
Choiceless awareness शब्द प्रयोग करते हैं जे कृष्णमूर्ति , समत्त्व – योग के लिए |
गीता के प्यार में जब आप समा जायेंगे तब आप की सारी जिज्ञासा,सारी चाह और
सारी खोज समाप्त हो जायेगी और आप गीता से गीता में आनंदित रहेंगे|
=====ॐ========
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