भाग - 01
आज से गीता ज्ञान धारा में हम गीता के एक सौ सोलह सूत्रों को
एक - एक करके देखनें जा रहे हैं
जो
बिषय से वैराग्य
कर्म से योग
और
योग में परम गति तक की यात्रा को स्पष्ट करते हैं ॥
इन्द्रियस्य इन्द्रियस्य - अर्थे
राग - द्वेशौ ब्यवस्थित :
अर्थात ----
देह के बाहर ज्ञानेन्द्रियों के जो पांच बिषय हैं ........
उनके अन्दर ----
राग एवं द्वेष होते हैं ॥
छोटा सा सूत्र लेकीन है,
कर्म - योग की बुनियाद ,
आप इस सूत्र को
अपनें दिल में रखनें का अभ्यास करें
और जब .....
अभ्यास सघन होगा
तब
आप इन्द्रियों के रहस्य को समझनें में सफल होगें ॥
=== ॐ =====
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