1- भागवत : 4.22 > धन एवं बिषय का चिंतन पुरुषार्थ का नाशक है ,यह ज्ञान - विज्ञान से दूर रखता है ।
2 - भागवत : 2.1 > एक घडी ज्ञान भरा जीवन भोग भरे 200 साल के जीवन से अधिज प्रीतिकर होता है ।
3- भागवत : 3.36 > साधन से भक्ति ,भक्ति में वैराग्य और वैराग्य से ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
4- भागवत : 2.1 > वैराग्य अर्थात गुण तत्त्वों के सम्मोहन से परे का जीवन ।
5- भागवत : 6.5 > बिना भोग अनुभव वैराग्य में पहुँचना कठिन है ।
6- भागवत : 11.19 > ज्ञान : प्रकृति ,पुरुष , अहंकार , महतत्त्व , 11 इन्द्रियाँ ,5 तन्मात्र , 5 महाभूत आदि को समझाना ज्ञान है और इन सबके होनें का कारण ब्रह्म है की समझ विज्ञान है ।
7- गीता : 13.2 : क्षेत्र - क्षेत्रज्ञ का बोध ज्ञान है । 8- गीता : 4.38 > कर्म -योग से ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
9- गीता : 4.10 : ज्ञान वह जो प्रभु में बसेरा
बनाए ।
10- गीता : 7.19 > कई जन्मों की तपस्या का फल है ज्ञान प्राप्ति ।
11- गीता : 7.3 > हजारों लोग ध्यान करते हैं ,उनमें एकाध सिद्धि प्राप्ति करते हैं और सिद्धि प्राप्त लोगों में कोई एक तत्त्व ग्यानी होता है ।
12- गीता - 7 16 > चार प्रकार के लोग हैं : # आर्त जो संकट निवारण हेतु प्रभु को याद करते हैं # जिज्ञासु जो प्रभु को यथार्थ रूप में समझाना चाहते हैं # अर्थार्थी जो लोग भोग प्राप्ति हेतु प्रभु को याद करते हैं # ज्ञानी वह जो बिना कारण प्रभु में बसे रहना चाहते हैं ।
13- गीता : 5.16 > ज्ञान से अज्ञान का अंत होता है और ज्ञान ज्योति ही परम प्रकाश है ।
14- गीता : 5.17 - 5.18 > तन मन एवं बुद्धि से निर्विकार समभाव ब्यक्ति ग्यानी -पंडित होता है । 15- गीता : 6.8 > नियंत्रित इन्द्रियों वाला ज्ञान -विज्ञान से परिपूर्ण होता है ।
~~~ ॐ ~~~
Wednesday, April 30, 2014
भागवत से - 5
Tuesday, April 29, 2014
भागवत से - 4
1- भागवत : 6 .1 > काल वह केंद्र है जो ब्रह्माण्ड की सभीं सूचनाओं को अपनी ओर खीच रहा है । This concept is called Dark Flow in Physics .
2- भागवत : 4.8 > असंतोष की मूल है मोह ।
3- गीता - 2.52 > मोह - वैराग्य एक साथ नहीं रहते ।
4- गीता - 4.35 + 4.36 + 4.38 + 18.72-18.73 > मोह अज्ञानका तत्त्व है जो ज्ञान से समाप्त होता है ।
5- भागवत : 1.2 > आसक्ति का समापन सत्संग से संभव है ।
6- गीता : 2.48 > आसक्ति रहित कर्म समत्व योग है।
7- गीता : 3.19-3.20 > अनासक्त कर्म प्रभु का द्वार है ।
8- गीता : 2.62-2.63 > मनन से आसक्ति ,आसक्ति से कामना ,कामना से क्रोध और क्रोध से पतन होता है ।
9- गीता : 5.10 > आसक्ति रहित कर्म करनें वाला भोग कर्म में कमलवत रहता है ।
10- गीता : 19.23 > आसक्ति रहित कर्म सात्त्विक कर्म है ।
~~~ ॐ ~~~
Sunday, April 27, 2014
भागवत से - 3
* भागवतके ध्यान सूत्र *
1- भागवत : 5.11 > मन की बृत्तियाँ = 10 इन्द्रियाँ , 5 प्रकार के कर्म ,5 तन्मात्र , शरीर और अहंकार ।हर कर्म इन्द्रियका अपना कर्म है ।
2- भागवत : 3.26 > अन्तः करण की बृत्तियाँ = संकल्प ,निश्चय , चिंता , अभिमान ।
3- भागवत : 1.3 > अन्तः करण क्या है ? मन ,बुद्धि , अहंकार और चित्त को अन्तः करण कहते हैं । 4- गीता - 10.30 > कालः कलयतां अहम् ।
5- गीता - 11.32 > कालः अस्मि लोकक्षयं कृत प्रवृत: ।
6- भागवत : 11.22 > लिंग शरीर क्या है ? 11 इन्द्रियाँ , स्थूल देहका पिंड लिंग शरीर कहलाता है । 7- भागवत - 7.9 > प्रभु काल रूप में माया से लिंग शरीर बनाया ।
8- भागवत : 6.5 > काल ही वह चक्र है जो ब्रह्माण्ड की सभी सूचनाओं को खीच रहा है ।
9- भगवत : 1.13 > काल प्राण से भी विरोग कर देता है ।
10- भागवत - 3.10 > हर पल बिषयों में चल रहा रुपान्यारण कालका आकार है ।
11- भागवत : 2.1 > काल प्रभु की चाल है ।
12- भागवत : 3.26 > हर पल गुणों में हो रहा परिवर्तन , काल है और परमात्मा ही काल है ।
13- गीता 14.10 > गुण समीकरण : तीन गुणों में एक गुण अन्य दो को दबा कर ऊपर उठता है और गुण परिवर्तन हर पल चल रहा है ।
14- गीता - 14.5 > तीन गुण आत्मा को देह में रोक कर रखते हैं ।
15- गीता - 14.17 > सात्विक गुण से ज्ञान ,राजस गुण से लोभ और तामस गुण से मोह है । ~~~ ॐ ~~~
Thursday, April 24, 2014
भागवत से - 2
Monday, April 21, 2014
भागवत की दो कथाएं
Sunday, April 20, 2014
अंतरिक्ष भाग - 1
● शनि देवता ●
°°शनि ग्रहके सम्बन्ध में कुछ रहस्य °°
1- यह पृथ्वी से आकार में 9 .4 गुना बड़ा है।
2- इसके चारो तरफ इसके 31 उपग्रह
( सेटे लाईट ) चक्कर लगा रहे हैं ।
3- इसका मुख्य सेटेलाईट Titan है , जिसका ब्यास 5150 Km का है ।
4- इसके सात रिंग हैं लेकिन आठवें रिंगका पता सन 2009 में लग चूका है । दूसरा सबसे बड़ा रिंग 16000 मील चौड़ा है ।
5- यहाँ का एक दिन = 10 घंटा और 14 मिनट का होता है और साल 29 साल 6 माह का ।
6- भागवत : 5.22.16 में कहा गया है कि शनि का एक चक्र ( cycle ) 30 साल का है जब यह सभीं राशियों का चक्कर पूरा करता है और विज्ञान कहता है कि यह 30 साल बाद पृथ्वी के नज़दीक आता है । ~~ हरे कृष्ण ~~