सन्दर्भ : भागवत स्कन्ध - 9
* एक बात : इतनी सी बात आप अपनें स्मृतिमें रखे रहें कि ---° यदु कुलमें प्रभु श्री कृष्णका जन्म हुआ
° रघु कुलमें प्रभु श्री रामका जन्म हुआ
<> अब आगे :-----
1- ब्रह्मासे अत्रि ऋषि हुए , अत्रिसे चन्द्रमा , चन्द्रमा बृहस्पतिकी पत्नी को चुरा लिया और बुध का जन्म हुआ ।
2-ब्रह्मा से कश्यप ऋषि , कश्यपसे
विवस्वान् ( सूर्य ) , सूर्यसे श्राद्धदेव मनु और मनुके पुत्र सद्युम्न हुए जो शिव श्रापसे एक माह स्त्री होते थे तो एक माह पुरुष । स्त्री रूपमें इनको इला नाम से लोग जानते थे । इला और बुधसे पुरुरवा पैदा हुए । चन्द्र बंशी क्षत्री
बुध - इलाके बंसज हुए और श्राद्ध देव मनुके अन्य 10 पुत्रों ( इक्ष्वाकु एवं अन्य ) से सूर्य बंशी क्षत्रियों का बंश प्रारम्भ हुआ ।
3- पुरुरवा और उर्बशी का मिलन सरस्वती नदीके तट पर कुरुक्षेत्रमें हुआ और पुरुरावाके पुत्र ययातिकी दो पत्नियाँ थी ।
3.1- एक थी देवयानी , शुक्राचार्यकी पुत्री और
3.2- दूसरी थी दैत्यराज बृषपर्वाकी पुत्री
शर्मिष्ठा ।
4- देवयानीसे यदु हुए और शर्मिष्ठासे आगे चल कर मन्धाताकी पुत्री बंशमें रघु का जन्म हुआ ।
5- रघु कुल में श्री रामके पुत्र कुश बंशमें तक्षक पैदा हुआ जो परीक्षितके मौतका कारण बना ।
6 - शर्मिष्ठाके तीन पुत्रोंमें एक पुत्र थे पुरु । पुरुबंश में भरत हुए जो 27000 वर्ष राज्य किया और इस बंशमें हस्ती हुए जो हस्तिनापुर को बसाया ।हस्ती बंशमें कुरु हुए जो कुरुक्षेत्रको बसाया ।
7- जयद्रत भी इसी कुल का था ।
8 - कुरु कुलमें जरासंधका जन्म हुआ था ।
9 - शंतनु भी इस कुलके थे और इनके कुल में धृतराष्ट्र एवं पांडुका जन्म हुआ ।
<> यदु , पुरु , कुरु और रघु का इतिहासका सार श्रीमद्भागवत पुराणके आधार पर , यहाँ आपको दिया गया । भागवत की कथा इन कुलोंपर आश्रित है ।
~~~ ॐ ~~~
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