सन्दर्भ : श्रीमद्भागवत पुराण : 2.5
<> ब्रह्मा नारदको सृष्टि रहस्यके सम्बन्धमें बता रहे हैं । भागवत 2.5 में कुल 42 श्लोक हैं जिनको नीचे स्पष्ट किया जा रहा है ।
* माया तीन गुणोंका एक प्रभु का माध्यम है जिससे एवं जिसमें यह दृश्य प्रधान संसार है।
* माया पर काल का प्रभाव हुआ और महत्तत्त्व का निर्माण हुआ । महत्तत्व चेतनाका ही दूसरा नाम है ।
* महत्तत्व पर कालका प्रभाव हुआ और तीन अहंकार उत्पन्न हुए ; सात्त्विक ,राजस और तामस ।
* सात्त्विक अहंकार पर कालका प्रभाव हुआ फलस्वरूप 10इन्द्रियों के देवताओंकी और मन की उत्पत्ति हुयी ।
* जब राजस गुण पर कालका प्रभाव हुआ तब 10 इन्द्रियाँ , बुद्धि और प्राण की रचना हुयी ।
* जब तामस अहंकार काल के प्रभाव में आया तब नीचे दिखाए गए तत्त्वों की उत्पत्ति हुयी ।
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--------[ तामस अहंकार ]--------
+
[ काल ]
| से
<> आकाश की उत्पत्ति --> शब्द ^
| से
<> वायु की उत्पत्ति --> स्पर्श ^
| से
<> तेज की उत्पत्ति --> रूप ^
| से
<> जल की उत्पत्ति --> रस ^
| से
<> पृथ्वी की उत्पत्ति --> गंध ^
°°अर्थात °°
<> पांच महाभूत और उनके अपनें -अपनें बिषय उत्पन्न हुए ।
<> 02 <>
-- > जब प्रलय होगी तब क्या होगा ?<--
° पृथ्वीसे जल गंध लेलेगा और पृथ्वी जलमें विलीन हो जाएगी ।
° काल जलसे रस खीच लेगा और जल तेज
( अग्नि )वायुमें बदल जाएगा ।
° वायुसे काल स्पर्श लेलेगा और वायु आकाशमें लीन हो जायेगी ।
° आकाशसे काल शब्द छीन लेगा फलस्वरुप आकाश तामस अहंकारमें बदल जाएगा ।
* और *
# राजस अहंकारसे काल बुद्धि , प्राण और इन्द्रियों को लेलेगा ।
# सात्विक अहंकारसे काल मन और इन्द्रियों के आधिष्ठाता देवताओं को छीन लेगा ।
* और *
> तब तीन अहंकार महत्तत्त्वमें विलीन हो जाएगा, महत्तत्त्व माया में समाजाएगा और माया ब्रह्ममें लीनहो जाएगी ।
> पुनः जब सृष्टिका प्रारम्भ होगा तब ब्रह्मके फैलाव स्वरुप सभीं सूचनाएं पूर्ववत प्रकट होनें लगेंगी ।।
~~ ॐ ~~
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