सन्दर्भ : भागवत : 10.61- 10.63
<> कुल 108 श्लोकों का सार <>
° कृष्णकी 16108 रानियाँ थी ।
° प्रत्येकके 10 - 10 पुत्र थे ।
° रुक्मणीसे एक पुत्री भी थी जिसका नाम था चारुमती ।
^ कृष्ण - रुक्मणीसे प्रद्युम्न हुए जिनका ब्याह रुक्मणीके भाई रुक्मी की पुत्री से हुआ ।
^ बालीका पुत्र बाणासुर शोणितपुरका राजा था , उसकी पुत्री ऊषा स्वप्नमें किसी अनजानेको देखा और प्यार हो गया ।
^ ऊषाकी एक सहेली थी योगिनी चित्रलेखा जो चित्र बनानेंमें दक्ष थी । चित्रलेखा सहेली की मददके लिए उसनें अनेक लोगोंके चित्र बनाए जिनमें एक चित्र अनिरुद्धका भी था और ऊषा उस चित्रको पहचान गयी जिसे वह स्वप्नमें देखि थी और बोली , सखी ! यह चित्र किसका है ? चित्रलेखा बता दी कि ये कृष्णके पौत्र, द्वारका निवासी प्रद्युम्नके पुत्र हैं ।अपनें सहेली के दिल की बातको समझते हुए चित्रलेखा आकाश मार्गसे द्वारका गयी और अनिरुद्धको लाकर ऊषाके सामने खड़ा कर दिया ।अनिरुद्ध महलमें चार माह रहे और अंतमें बाणासुरको पता चल गया ।
* बाणासुरके सेनापति शिव थे । यदुबंशी और बाणासुरके मध्य 12-12 अक्षौहिणी सेनाओं के साथ युद्ध हुआ ।इस युद्धमें कृष्ण और शिव आमने - सामने थे । बाणासुरकी हार हुयी और अनिरुद्ध - ऊषा ब्याह हुआ ।
~~~ ॐ ~~~
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