आइये देखते हैं गरुण पुराण अध्याय दस के चौथे भाग की झांकी
यहाँ प्रभु गरुण जी को बता रहे हैं:-------
दाह के बाद स्त्रियों को पहले स्नान करना चाहिए
तिल के बीज से जलांजलि देनी चाहिए
दाह के दिन घर में भोजन नहीं बनाना चाहिए अन्यत्र कहीं से भोजन मगवायें
जिस स्थान पर मृत्यु हुयी हो उस स्थान पर बारह दिन तक दक्षिण दिशा में दीपक जलायें
दीपक कभीं बुझाना नहीं चाहिए
नजदीकी किसी चौराहे पर तीन दिन तक नित्य सूर्यास्त के बाद जल एवं दूध किसी पात्र में रखना चाहिए और मन्त्र के माध्यम से प्रेत को संबोधित करना चाहिए कि आप श्मशान की अग्नि से जले हो , अपनों से जुदा हुए हो , लो पानी से स्नान करो और दूध पीयो
दाह के तीन दिन बाद अस्थियों को एकत्रित करें
अस्थियों को इकट्ठा करनें के पहले चिता की अग्नि को दूध – जल से शान्त करें
हड्डियों को ढाक के पत्तों पर रखें
वामावर्त हो कर तीन बार परिक्रमा करें
ययायत्वा मन्त्र का मनन करते रहें
हद्धियों को दूध एवं जल से धो कर मिटटी के पात्र में रखें
तिकोना मंडल बनाएँ , गोबर से लीपें दक्षिणाभिमुख हो कर तीन दिशाओं में पिण्ड दान करें
आगे अगले अंक में भाग पांच को देखा जाएगा
आज इतना ही
=====ओम्======
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