श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय - 12
🌷 अर्जुन पूछते हैं - साकार और निराकार उपासकों में उत्तम उपासक कौन होते हैं ?
● निराकार उपासक प्रभु को प्राप्त करते हैं ।
● साकार उपासक उत्तम योगी होते हैं ।
● निराकार उपासना में कष्ट अधिक है ।
● साधनामें समभावकी स्थिति मिलने पर साधना सिद्ध होती है ।
★ प्रभु के वचन
हे अर्जुन ! तुम अभ्यास योग से मुझ पर अपनें चित्त को केंद्रित करो ⤵️
या अपनें कर्मों को तूँ मुझे समर्पित करो ⤵️
या फिर चाह रहित कर्म करो ।
1⃣ प्रभु श्री कृष्ण की इन 03 बातों में पूरा वेदांत दर्शन ज्ञान - सार और पतंजलि योग दर्शन का पूरा ज्ञान - सार छिपा है।
2⃣ अभ्यास सिद्धि से पूर्ण समर्पण का भाव जागृत होता है ।
3⃣ पूर्ण समर्पण में ईश्वर भाव से मन की वृत्तियाँ क्षीण होती हैं , बुद्धि निर्मल होती है और कर्म बंधनों के मुक्ति मिलती है ।
4⃣ वितृष्ण ( वैराग्य ) की ऊर्जा प्रवाहित होने से आसक्ति मुक्त कर्म होने लगता है जो ज्ञानयोग की परानिष्ठा है।
~~◆◆ ॐ ◆◆~~
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