गीता के दो सौ ध्यान सूत्र
अगले कुछ सूत्र
सूत्र – 9.10
प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं … ..
मुझसे प्रकृति है , प्रकृति से जड़ – चेतन हैं और जस – चेतन से यह जग है //
सूत्र –18.40
तीन गुणों से मुक्त सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में कोई सूचना नहीं //
सूत्र –13.20
प्रकृति - पुरुष अनादि हैं ; विकार प्रकृति जन्य हैं //
सूत्र –13.24
प्रकृति - पुरुष का बोधी मुक्ति पाता है //
सूत्र –13.3
क्षेत्र – क्षेत्रज्ञ का बोध ही ज्ञान है //
और
क्षेत्र प्रकृति से है एवं पुरुष क्षेत्रज्ञ है //
प्रकृति-पुरुष
क्षेत्र – क्षेत्रज्ञ
गुण – विकार
को समझनें के लिए देखें-----
गीता अध्याय –13एवं अध्याय –14
=====ओम=======
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