गीता के दो सौ ध्यान सूत्र
अगले कुछ सूत्र
सूत्र –15.17
क्षर – अक्षर से परे मैं हूँ . प्रभु कह रहे हैं //
सूत्र –14.19
तीन गुणों से अछूता ब्यक्ति मुझे समझता है //
सूत्र – 14.5
तीन गुण आत्मा को देह में रोक कर रखते हैं //
सूत्र –14.10
तीन गुणों का अमिकरण मनुष्य का संचालक है ; जब एक गुण शक्तिशाली होता है तब अन्य दो
कमजोर हो जाते हैं //
सूत्र –3.5 , 3.27 , 3.33
तीन गुण कर्म कर्ता हैं कर्ता भाव अहंकार से आता है , गुणों से स्वभाव बनाता है और
स्वभाव से कर्म होता है //
गीता के कुछ सूत्र आप को दिए जा रहे हैं जो आप को रह रह कर याद दिलाते रहेंगे ,
यह जाननें के लिए कि आप की यात्रा का रुख किधर का होना चाहिए और
वर्त्तमान में किधर को है //
==== ओम ======
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