साधना- सूत्र
गीता श्लोक – 4.38
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते|
तत्स्वयं योगसंसिद्ध:कालेनात्मनि विन्दति||
योग – सिद्धि ज्ञान के द्वार को खोलती है||
Perfection of yoga opens the door of wisdom .
गीता में प्रभु एक सांख्य – योगी के रूप में हैं और सांख्य एवं वैशेषिका साधना
के प्राचीनतम दो ऐसे मार्ग हैं जो आज के पार्टिकल – फिजिक्स जैसे हैं जिनका
मूल उद्देश्य है तर्क के आधार पर परम सत्य को पकड़ना|
आज जनेवा में पृथ्वी के अंदर टनेल बना कर भौतिक वैज्ञानिक आत्मा को प्रयोग शाला
मे बनानें का जो प्रयत्न कर रहे हैं वह है तो उत्तम लेकिन उसका परिणाम क्या होता है?
अभीं अंदाजा लगाना ठीक नहीं|जिस दिन वैज्ञानिक ऐसा परम् कण खोज लिया
जिससे जीव बनाया जा सकता है तो समझना उस दिन के एक और पांचवा योग का प्रारम्भ होगा|
========= ओम =========
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