2- वैज्ञानिक सोच टाइम -स्पेस में सीमित है जहाँ टाइम -स्पेस को एक दूसरे से अलग करना सम्भव नहीं पर सोच की एक ऐसी स्थिति भी आती है जहाँ पल भर के लिय ही सही दोनों (टाइम -स्पेस ) अस्तित्व हीन हो आते हैं और मन -बुद्धि का यह आयाम चेतना कहलाता है जहाँ ध्यान में उतरनें वाला साधक समाधि में सरक जाता है । समाधि का फल है - बुद्धत्व ।
3- समाधि में उतरा ब्यक्ति देश -काल ( स्पेस -टाइम ) से अप्रभावित रहता हुआ उनका द्रष्टा होता है ।
4- समाधि मन - बुद्धि की उस परम शून्यता का नाम है जहाँ दृष्य तो उस परम के फैलाव स्वरुप होता है पर इस बातका कोई गवाह नहीं होता अर्थात समाधि में उतरा ब्यक्ति उस कालमें ब्रह्म हो गया होता है ।
5- ध्यान जब समाधि में रूपांतरित हो जाता है तब:---
<> उस ब्यक्ति का जीवात्मा और ब्रह्म में एकत्व स्थापित हो जाता है जहाँ वह ब्यक्ति स्वयं out of body होनें की अनुभूति से गुजर रहा होता
है ।
## समाधि सोच का बिषय नहीं , इसकी प्राप्ति कई जन्मो की तपस्याओं का फल है ##
~~~ ॐ ~~~
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