गीता के200 ध्यान सूत्र
यहाँ हम गीता के200ऐसे सूत्रों को देख रहे हैं जिनका सीधा सम्बन्ध ध्यान से है/
जिस दिन यह श्रंखला समाप्त होगी उस दिन आप के पास दो सौ गीता के ऐसे सूत्र होंगे जिनको आप अपना कर ध्यान मे उतर सकते हैं / आइये देखते हैं कुछ और सूत्रों को -------
गीता सूत्र5.4
कर्म करनें की चाह , कर्म – फल की रचना एवं कर्म की रचना प्रभु नहीं करते , यस सब स्वाभाव आधारित होते हैं //
गीता सूत्र18.23
राग – द्वेष रहित कर्म सात्त्विक कर्म हैं //
गीता सूत्र18.24
कामना एवं अहंकार की ऊर्जा से जो कर्म होते हैं वे राजस कर्म हैं //
गीता सूत्र18.25
मोह आधारित कर्म तामस कर्म हैं //
गीता सूत्र3.5
कर्म कर्ता हम नहीं गुण होते हैं और एक क्षण के लिए भी कोई कर्म मुक्त नहीं हो सकता //
गीता सूत्र18.11
कर्म मुक्त होना तो संभव नहीं लेकिन कर्म में कर्म - फल की चाह का त्याग ही कर्म – त्याग
होता है //
गीता सूत्र3.27
कर्म कर्ता तो तीन गुण हैं लेकिन मैं कर्ता हूँ की भावना अहंकार की छाया होती है //
गीता सूत्र2.45
तीन गुणों से जो कर्म होते हैं उनका सम्बन्ध सीधे भोग से है और ऐसे कर्मों के फल की प्राप्ति की
पूरी गणित वेदों में दी गयी है //
=====ओम======
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