Wednesday, May 12, 2021

पतंजलि योग दर्शन के समाधि पाद का सारांश

 


पतंजलि समाधि पाद - सार

【01 】 सूत्र : 1 - 4 तक : योग अनुशासन है जिससे चित्तकी वृत्तियाँ निरोधित होती हैं फलस्वरूप वृत्ति स्वरूप पुरुष अपने मूल स्वरुप में आ जाता है । प्रकृति - पुरुष से हम हैं । चेतन पुरुष चित्तके संपर्क में चित्त जैसा बन जाता है ।

【 02 】 सूत्र : 5 - 22 तक : 05 प्रकार की वृत्तियों , अभ्यास - वैराग्य, विदेहलय , प्रकृतिलय , 04 प्रकार की सम्प्रज्ञात समाधियों ,  कैवल्य प्राप्ति के उपाय तथा साधकों की श्रेणियों के सम्बन्ध में बताया गया है ।

【 03 】 सूत्र : 23 - 29 : ईश्वर प्रणिधानि में ईश्वर क्या

हैं ? उसे कैसे स्मरण करें आदि के सम्बन्ध में बताया गया है।

【 04 】 सूत्र : 30 - 33 : योग मार्ग की बाधाओं और एकाग्रता के सम्बन्ध में बताया गया है ।

【 05 】 सूत्र : 34 - 39 : चित्त शांत करने के 06 उपाय बताये गए हैं ।

【 06 】 सूत्र : 40 - 45 : पूर्ण शांत चित्त की पहचान और समपत्तियों को बताया गया है । समापत्ति सबीज समाधि का पर्यायवाची शब्द है।

【 7 】 सूत्र : 46 - 51 : समाधि (सम्प्रज्ञात और असम्प्रज्ञात समाधि ) के सम्बन्ध में बताया गया है ।

~~~~~●● ॐ ●●~~~~~

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