⬆️ श्रद्धा , समर्पण और सात्त्विक गहरी इच्छा शक्ति का प्रवल होना , योग साधना में धारणा को स्थिर और मजबूत बनाते हैं।
➡️ स्थूल या सूक्ष्म किसी भी सात्त्विक आलंबन पर चित्त को रोकने का अभ्यास , धारणा अभ्यास है । जब धारणा सिद्ध होती है अर्थात जब चित्त में आलंबन के अतिरिक्त और कुछ नहीं आता - जाता तब योग की उच्च भूमियों की यात्रा प्रारंभ होती है ।। ॐ ।।
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