सन्दर्भ : अध्याय 1 से 3 तकका सार कुछ इस प्रकार है :---
* परीक्षितसे सन 2013 तकका समयकी गणना भागवत में इस प्रकारसे है :---
1115+137+185+2013>3450 वर्ष अर्थात महाभारत युद्ध हुए 3450 वर्ष हुए ।
<> भागवत कलि युग की एक तस्बीर प्रस्तुत करते हुए कह रहा है :
● जैसे -जैसे कलियुग गहराता जाएगा वैसे - वैसे सौराष्ट्र , अवंती , आभीर , शूर , अर्बुद और मालव देशके ब्राह्मण संस्कार शून्य हो जायेंगे और वहाँके राजा शुद्र तुल्य होंगे ।
● जिसके हाँथ में शक्ति होगी वही धर्म और न्यायकी ब्यवस्था करेगा ।
● ब्राह्मण साधनासे नहीं यज्ञोपवीत और जातिसे पहचानें
जायेंगे ।
● सत्यकी राह पर चलनें वाला अदालतसे न्याय नहीं प्राप्त कर सकेगा।
● जो ज्यादा बोलेगा उसे महान पंडित समझ जाएगा ।
● गरीबी एक मात्र पहचान होगी असाधुता और दोषी होनें की ।
● अधिक वारिश ,सखा , अधिक गर्मी ,अधिक शर्दी , बाढ़का प्रभाव रहा करेगा ।
● छोटे कद के अन्नके पौधे होंगे ।
● बिजली अधिक चमकेगी पर वर्षात कम होगी।
● मनुष्य बिषयी होंगे ।
● स्त्रियोंका कद छोटा होगा ।
● परीक्षित-जन्मके समयका ज्योतिष :-
^ जब सप्त ऋषि उदय होता है तब पहले दो तारे दिखते हैं । उनके बीच यदि दक्षिण-उतर दिशामें एक रेखा खीची जाए तो अश्वनी आदि नक्षत्रोंमें से एक उस रेखाके मध्यमें दिखता
है । उस नक्षत्रके साथ सप्त ऋषि सौ वर्ष रहते हैं ।
● परीक्षितके जन्मके समय और मृत्युके समय मघा नक्षत्र था ।
* पृथ्वीको जीतनेंकी अभिलाषावाले राजाओं पर पृथ्वी हसती है और कहती है :--
<> ये स्वयं मौतके खिलौनें हैं और मुझे जीतना चाहते हैं , ये बेहोशीमें भाग रहे हैं ।
* कलियुगमें पाखंडी लोग छा जायेंगे और नया -नया पंथ चलाएंगे तथा वेद बचनको तर्कके आधार पर अपनी सोचके अनुरूप प्रकट करेंगे और लोग उनसे प्रभावित भी होंगे।
~~ ॐ~~~
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