- एक पूर्व में और दूसरा उत्तर - पश्चिम में ....
- एक ज्ञान की राजधानी में और दूसरा देश की उप राजधानी में ....
- एक काशी में और दूसरा लाहोर में .....
- एक हिंदू पंडितों के अहँकार पर हथौरा मार रहा ....
- दूसरा हिंदू - मुसलमान को जोडनें में लगा हुआ ....
- एक गंगा के तट पर बैठा गंगा की औंटा में खोया हुआ .....
- दूसरा काली बेन एक छोटी सहायक नदी के तूफ़ान को समझते हुए ....
- दोनों परम ज्ञानी लेकिन किसी पाठशाला के माध्यम से नहीं .....
दोनों का प्रारम्भ कर्म योगी के रूप में देखा जा सकता है ....
एक बुनकर तो दूसरा मोदी [ हिसाब - किताब रखनें वाला ] ....
एक हिंदुओं के ऊपर मुगलों के अत्याचारों का द्रष्टा ....
दूसरा हिंदू उन पंडितों से अज्ञानता का द्रष्टा जो मंदिरों में स्वयं को भगवान समझते थे ....
दोनों गृहस्थ थे ; पत्नी और औलाद का पूरा अनुभव दोनों के पास था ....
एक गर्भ से ज्ञानी थे , दूसरे को ज्ञान मिला काली बेन दरिया से ...
दोनों एक बार , केवल एक बार एक जगह पर कुछ दिन एक साथ रहे , काशी में , कबीर जी की झोपडी में जहाँ दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिल पाती थी / नानकजी साहिब और कबीर जी साहिब कुछ दिन एक साथ एक एक झोपड़े में रहे लेकिन उनमें कोई वार्ता न हुयी , दोनों एक दूसरे को देखते और कभी आंशू की दो बूंदे टपक जाती थी तो कभीं दोनों मुस्कुरा देते थे /
दो परम ज्ञानी जब आमानें - सामनें होते हैं तब उनके मध्य जो वार्ता होती है वह होती है मौन की भाषा में जहाँ शब्द नहीं निर्मल भाव होते हैं /
ज्ञानी ग्रन्थ की रचना नही करते ...
ज्ञानी उपदेश नहीं देते ....
ज्ञानी का जीवन ही ग्रन्थ होता है
ज्ञानी का जीवन ही उपदेश होता है
और
ज्ञानी जहाँ होते हैं उस स्थान पर ज्ञान की ऊर्जा इतनी सघन होती है कि जो भी ज्ञान का भूखा वहा से गुजरता है , ज्ञानी हो उठता है /
==== ओम् ======
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