" I do not believe in future , it comes so soon " , says Albert Einstein
आज का विज्ञान जिसकी सोच पर खडा है , वह कह रहा है -
मैं भविष्य के ऊपर विश्वास नहीं रखता क्योंकि वह इतना जल्दी आ खडा हो जाता है / अब आप सी सोच भविष्य के सम्बन्ध में क्या हो सकती है ?
भूत , वर्तमान और भविष्य ; समय को समझनें की एक परिकल्पना है लेकिन समय तो समय ही है जो ब्यक्त किया नहीं जा सकता मात्र जिसके होनें का अनुभव जरुर होता रहता है / जहाँ हम हैं , जो हमारा अस्तित्व है जहाँ से भूत - भविष्य में हम कभीं - कभी झांकते रहते हैं , वह है हमारा वर्तमान / वतमान को कुछ इस प्रकार से भी समझा जा सकता है - भूत का आखिरी क्षण और भविष्य का प्रारंभिक क्षण को समझिए और इस समझ के आधार पर इन दोनों के मध्य की स्थिति को भी देखिये , वह आयाम है हमारे वर्तमान का /
हमारा वर्तमान भविष्य के ब्लू - प्रिंट बनानें में गुजर रहा है जिस पर भूत का रंग स्पष्ट झलकता है पर ताज्जुब होता है कि इस ब्लू - प्रिंट पर कहीं वर्तमान की छाया तक नहीं दिखती जो हमारा ब्यक्त जीवन है /
गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं -
ऐसा कभीं न था जब हम , तुम , ये सभीं राजा लोग न थे और आगे भी ऐसा न होगा जब हम सब न होंगे लेकिन मेरे और तुममें एक अंतर है , मैं अपनें भूत की स्थतियों को देख रहा हूँ और तुम्हारी स्मृति में तेरे भूत की स्थितियां धूमिल हो चुकी है / अपनें भूत कालीन जीवनों को वर्तमान में देखनें का विज्ञान बुद्ध - महाबीर के समय तक था , बुद्ध इस ध्यान को आलय विज्ञान कहा करते थे और महाबीर जाति स्मरण लेकिन आज अगर कोई कहे की मैं पिछले जीवन में सम्राट था या भिखारी था तो लोग क्या कहेंगे ?
रविन्द्रनाथ टैगोर कहते हैं .......
Butter fly counts not months but moments and has time enough
यदि जीवन का मजा लेना चाहते हो तो :..............
और
खुदा यह नहीं देखेगा कि तुम पिछले जीवन में क्या किया
खुदा यह नहीं सोचेगा कि तुम्हारी अगले जीवन की क्या सोच है
वह तो यह पूछेगा कि -----
मैं तुमको इतना सब दिया और तुम फिर भिखारी बन कर खाली हाँथ आ रहे हो ?
कुछ तो सोचा होता ? कम से कम इतना तो सोचा होता कि मैं कहाँ जानें वाला हूँ ?
जीवो और मस्ती से जीवो
लेकिन आप की मस्ती का केंद्र परमात्मा हो
==== ओम् ======
आज का विज्ञान जिसकी सोच पर खडा है , वह कह रहा है -
मैं भविष्य के ऊपर विश्वास नहीं रखता क्योंकि वह इतना जल्दी आ खडा हो जाता है / अब आप सी सोच भविष्य के सम्बन्ध में क्या हो सकती है ?
भूत , वर्तमान और भविष्य ; समय को समझनें की एक परिकल्पना है लेकिन समय तो समय ही है जो ब्यक्त किया नहीं जा सकता मात्र जिसके होनें का अनुभव जरुर होता रहता है / जहाँ हम हैं , जो हमारा अस्तित्व है जहाँ से भूत - भविष्य में हम कभीं - कभी झांकते रहते हैं , वह है हमारा वर्तमान / वतमान को कुछ इस प्रकार से भी समझा जा सकता है - भूत का आखिरी क्षण और भविष्य का प्रारंभिक क्षण को समझिए और इस समझ के आधार पर इन दोनों के मध्य की स्थिति को भी देखिये , वह आयाम है हमारे वर्तमान का /
हमारा वर्तमान भविष्य के ब्लू - प्रिंट बनानें में गुजर रहा है जिस पर भूत का रंग स्पष्ट झलकता है पर ताज्जुब होता है कि इस ब्लू - प्रिंट पर कहीं वर्तमान की छाया तक नहीं दिखती जो हमारा ब्यक्त जीवन है /
गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं -
ऐसा कभीं न था जब हम , तुम , ये सभीं राजा लोग न थे और आगे भी ऐसा न होगा जब हम सब न होंगे लेकिन मेरे और तुममें एक अंतर है , मैं अपनें भूत की स्थतियों को देख रहा हूँ और तुम्हारी स्मृति में तेरे भूत की स्थितियां धूमिल हो चुकी है / अपनें भूत कालीन जीवनों को वर्तमान में देखनें का विज्ञान बुद्ध - महाबीर के समय तक था , बुद्ध इस ध्यान को आलय विज्ञान कहा करते थे और महाबीर जाति स्मरण लेकिन आज अगर कोई कहे की मैं पिछले जीवन में सम्राट था या भिखारी था तो लोग क्या कहेंगे ?
रविन्द्रनाथ टैगोर कहते हैं .......
Butter fly counts not months but moments and has time enough
यदि जीवन का मजा लेना चाहते हो तो :..............
- वर्तमान पर भूत की छाया न पड़नें दो
और
- इसे भविष्य के अँधेरे में खोनें भी न दो
खुदा यह नहीं देखेगा कि तुम पिछले जीवन में क्या किया
खुदा यह नहीं सोचेगा कि तुम्हारी अगले जीवन की क्या सोच है
वह तो यह पूछेगा कि -----
मैं तुमको इतना सब दिया और तुम फिर भिखारी बन कर खाली हाँथ आ रहे हो ?
कुछ तो सोचा होता ? कम से कम इतना तो सोचा होता कि मैं कहाँ जानें वाला हूँ ?
जीवो और मस्ती से जीवो
लेकिन आप की मस्ती का केंद्र परमात्मा हो
==== ओम् ======
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