भाग - 09
अपान श्वास पर ध्यान करना
अपांन वायु उस श्वास को कहते है जिसको बाहर निकाला जाता है [ नाशापुतों से ] ।
आप इस ध्यान को आफिस में बैठे हुए भी कर सकते हैं ,
सफ़र करते हुए भी कर सकते हैं ॥
कैसे करें यह ध्यान ?
जैसे हैं और जहां हैं अपनी आँखों को जमीन की ओर झुका लें ।
समुचित पोस्चर में अपनें देह को रखे जिस से आप को कोई असुविधा न हो ॥
दाहिनें हाँथ की लम्बी उंगली को अपनें नाभि पर रखें ।
अब आगे ......
जिस श्वास को आप अन्दर ले रहे हैं उसे देखनें की जरुरत नहीं है ।
जो श्वास आप बाहर छोड़ रहे हैं उसको कुछ देर तक देखते रहें
और नाभि के ऊपर रखी गयी उंगली की गति को भी देखना है ।
जब आप श्वास लेते हैं तब आप की उंगली नीचे से ऊपर की ओर उठती है और
जब श्वास बाहर निकालते हैं तब यह उंगली ऊपर से नीचे की ओर चलती हैं ॥
यहाँ आप को या तो सबसे ऊपर की बिंदु पर अपने ध्यान को रखें या ....
उंगली के साथ अपने ध्यान को ऊपर से नीचे की ओर
उसी गति से चलायें जिस गति से आप की उंगली चल रही है ।
यह ध्यान आप के मन ---
बुद्धि ---
और ....
इन्द्रियों को नियंत्रित करेगा ,
और ----
धीरे - धीरे आप की सोच में .....
रहन - सहन में ....
ब्यवहार में .....
और -----
स्वभाव में परिवर्तन आनें लगेगा ॥
==== ॐ ======
अत्यंत उपयोगी पोस्ट
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विधि बतायी
आभार
शुभ कामनाएं
धन्यवाद.
ReplyDeleteआदरणीय,
ReplyDeleteआज हम जिन हालातों में जी रहे हैं, उनमें किसी भी जनहित या राष्ट्रहित या मानव उत्थान से जुड़े मुद्दे पर या मानवीय संवेदना तथा सरोकारों के बारे में सार्वजनिक मंच पर लिखना, बात करना या सामग्री प्रस्तुत या प्रकाशित करना ही अपने आप में बड़ा और उल्लेखनीय कार्य है|
ऐसे में हर संवेदनशील व्यक्ति का अनिवार्य दायित्व बनता है कि नेक कार्यों और नेक लोगों को सहमर्थन एवं प्रोत्साहन दिया जाये|
आशा है कि आप उत्तरोत्तर अपने सकारात्मक प्रयास जारी रहेंगे|
शुभकामनाओं सहित!
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
(देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
फोन : 0141-2222225 (सायं सात से आठ बजे के बीच)
मोबाइल : 098285-02666
इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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