Friday, December 17, 2010

ॐ की ओर



गीता में प्रभु कहते हैं -----
[क] वेदों में ओंकार मैं हूँ .....
[ख] ऋग्वेद , यजुर्वेद और सामवेद मैं हूँ .....
यहाँ आप देखें गीता - श्लोक .... 7.8 , 9.17 , 10.25

ॐ की ओर यात्रा करनें से पहले आप लोगों से मेरा एक प्रश्न --------
मैं गीता की ओर यात्रा पर वैसे तो लगभग दस वर्षों से हूँ लेकीन ब्लोक के माध्यम से आप सब के
साथ गीता - माध्यम से मुझे जुड़े हो गए होंगे चार वर्ष के करीब ।
आप लोगों में कितने ऐसे हैं जिनके पास मूल गीता की एक प्रति है ?
बाज़ार में गीता से सस्ती शायद ही कोई और किताब हो , ऐसा समझे की .....
एक किलो बैगन न लेकर
आप गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित 502 गीता की एक प्रति आसानी से
खरीद सकते हैं कोई हर्ज़ नहीं पड़ता
आप पढ़ें सब के द्वारा लिखे गए भाष्यों को लेकीन
मूल गीता तो मूल ही है ॥

आइसे अब चलते हैं ॐ की ओर .......
आप , लोगों से निम्न तरह की बातों को तो सूना ही होगा ?
[क] आज पांच बजे मुझे मंदिर जाना है ----
[ख] आज रात्री में मेरी मौसी काशी जा रही हैं ....
[ग] अगले वीरवार को मेरी माँ रामेश्वरम की यात्रा पर जा रही हैं .....
[घ] अगले साल मैं और मेरी माँ केदार नाथ - बद्री नाथ की यात्रा पर जानें वाले हैं ....
[च] परसों मेरे पड़ोसी हरिद्वार जा रहे हैं ... आदि ,
क्या इन बातों से आप के अन्दर बह रही ऊर्जा
की फ्रिक्विन्सी पर कोई असर पड़ता है ?
यदि पड़ता है तो आप में अभी प्राण है ......
यदि नही पड़ता तो आप चलते - फिरते मुर्दे हैं .....
आप एक काम करें -----
एकांत में बैठ कर मात्र दो मिनट के लिए इस प्रयोग को करें .....
आँखे बंद हो .....
किसी का आना - जाना उस स्थान पर न हो ....
अपनी दोनों हथेलियों को अपने सीनें पर रख कर स्वयं से प्रश्न करना की .....
क्या तीर्थों के नाम से .....
क्या पीर - फकीरों के नाम पर ......
क्या तीर्थ - यात्राओं के आम पर ....
आप के अन्दर कभी कुछ हुआ है ?
यदि आप की स्मृति कमजोर हो तो आगे आप जरूर ध्यान रखना ,
क्या पता यह आप को
रुपांतरी करदे ॥
दिनमें एक मिनट के लिए ही सही ....
अपनें दिलमें कभी - कभी ही सही ....
अपनें तीर्थों की स्मृति में अपनें को लेजाना कोई बुरी बात तो नहीं
और .....
यदि ऐसा संभव नही तो ....
तीर्थों के तीर्थ राज .....
अपनी माँ को ही सही ऐसे याद करें
जैसे .....
आप उसकी गोद में लेते हुए हों एक छ : माह के अबोध बाल रूप में ॥
आज और अभी कर के देखो .....
आप एक पल के लिए उस जन्नत में अपनें को पायेंगे जिसके लिए
कुछ करना नहीं मात्र अपनी स्मृति में जाना है ॥
प्रभु आप के साथ है ....
प्रभु आप के ह्रदय में है ....
फिर भी आप यह सब क्यों कर रहे हो ?

आज इतना ही -----

=== ॐ एक मार्ग है ======

No comments:

Post a Comment