गरुण जी अध्याय के प्रारम्भ में पूछा था कि कैसे लोग नरक की यात्रा करते हैं ? प्रभु इस सम्बन्ध में जो बातें कही हैं उनको आप यहाँ देख रहे हैं और अब आगे -------
वैश्य वह जो चर्म का काम करे
स्त्रियाँ जो वैश्या का कर्म करें
बिष के ब्यापारी
अनाथ को सतानें वाले
निरपराधी को दंड देने वाले
ऐसे घनवान जो गरीबों को भोजन न दे सके
दया भाव की कमी वाले लोग
नियमों को धारण करके नियमों को तोड्नें वाले
मोक्ष दिलानें वाले गुरु का जो सत्कार न करे
पुराण वाचकों की जो आदर न करे
प्रीति को तोड़ने वाले
मित्रता को खंडित करने वाले
तीर्थ यात्रा , विवाह एवं शुभ कर्मों में जो लूटता हो
घर , गाँव , बन में आग लगाने वाले
ऐसे लोग नरक की यात्रा करते हैं//
घर , गाँव एवं बन में आग लगानें वालों को यम दूत अग्नि कुण्ड में पकाते हैं , ऐसे जंगल में ले जाते हैं जहाँ पेड़ों के पत्ते तलवार जैसे धार वाले होते है और इन पत्तों से उस पापी के अंग कटते हैं और वह चिल्लाता रहता है / ऐसे पापी जब प्यास बुझानें के लिए पानी मागते है तब उनको गर्म तेल दिया जाता है /
अध्याय चार का तीसरा भाग अगले अंक में देखा जा सकता है
====ओम्======
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