उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिला और चमोली जिला के पञ्च केदार एवं अन्य धार्मिक क्षेत्र
अब ऊपर व्यक्त पवित्र निर्मल सघन ऊर्जा केंद्रों के संबंध में देखते हैं …
🏩रुद्रप्रयाग जनपद के निर्मल सघन ऊर्जा केंद्र
1. रुद्रप्रयाग
रुद्र प्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगम स्थल है, जिसे पंच प्रयाग ( देव प्रयाग , रुद्रप्रयाग , कर्ण प्रयाग , नन्द प्रयाग , विष्णु प्रयाग ) में से एक है। यह स्थान भगवान शिव के रुद्र रूप से जुड़ा है और कहा जाता है कि यहाँ नारद मुनि ने शिव की तपस्या की थी। संगम स्थल पर शिव और जगदंबा मंदिर प्रमुख हैं। यह शहर केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है।
2.केदारनाथ धाम
केदारनाथ भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और पंच केदार में प्रमुख है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहाँ पांडवों ने शिव की तपस्या की थी। रुद्रप्रयाग से केदारनाथ की दूरी लगभग 86 किमी है।
3.त्रियुगीनारायण मंदिर
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और मान्यता है कि यहाँ भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। यहाँ तीन कुंड (रुद्रकुंड, विष्णुकुंड, ब्रह्मकुंड) हैं, जिनका धार्मिक महत्व है। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है और केदारनाथ यात्रा के दौरान देखा जा सकता है।
4. गुप्तकाशी
गुप्तकाशी को "छुपी हुई काशी" कहा जाता है और यहाँ प्राचीन विश्वनाथ मंदिर है। मान्यता है कि भगवान शिव पांडवों से छुपने के लिए यहाँ आए थे।
· आकर्षण: यहाँ अराधनेश्वर मंदिर और मणिकर्णिक कुंड भी दर्शनीय हैं।
5.अगस्त्यमुनि
यह स्थान ऋषि अगस्त्य की तपस्या स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ अगस्तेश्वर महादेव मंदिर है, जहाँ बैसाखी के अवसर पर एक बड़ा मेला लगता है। अगस्त्यमुनि मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
6.तुंगनाथ मंदिर
तुंगनाथ पंच केदार में से एक है और मान्यता है कि यहाँ भगवान शिव की भुजाएँ प्रकट हुई थीं। यह मंदिर समुद्र तल से 3,680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।यहाँ से हिमालय की चोटियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
7.मदमहेश्वर
मदमहेश्वर पंच केदार में दूसरा केदार माना जाता है। यहाँ भगवान शिव की नाभि प्रकट हुई थी। यह स्थान शांत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है ।
8.सोनप्रयाग
सोनप्रयाग में मान्यता है कि भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। यह केदारनाथ यात्रा के मार्ग में पड़ता है।
यहाँ का प्राकृतिक environment और नदी का संगम दर्शनीय है।
9.खिरसू
खिरसू एक सुंदर हिल स्टेशन है, जो हिमालय की चोटियों और घने जंगलों से घिरा है। यह प्रकृति प्रेमियों और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए आदर्श स्थान है।
10.कार्तिकस्वामी मंदिर ( क्रौंच पर्वत - परियों का देश )
यह मंदिर भगवान कार्तिकेय को समर्पित है और 3,048 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से हिमालय की चोटियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
11.कालीमठ
कालीमठ एक सिद्ध पीठ है और देवी काली का मंदिर यहाँ स्थित है। नवरात्रि के दौरान यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है।
12.इंद्रासनी मनसा देवी मंदिर
यह मंदिर रुद्रप्रयाग शहर से 14 किमी दूर स्थित है और इसे आदि शंकराचार्य के युग में बनाया गया था। यहाँ देवी मनसा की पूजा की जाती है, जो सांप के काटने का इलाज करने में सक्षम मानी जाती हैं।
🏩चमोली जनपद, उत्तराखंड के निर्मल सघन ऊर्जा केंद्र
1. बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ हिंदुओं के चार धामों में से एक है और भगवान विष्णु के बद्रीनारायण रूप को समर्पित है। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में की थी। यहाँ भगवान विष्णु की 1 मीटर ऊँची शालिग्राम शिला से निर्मित मूर्ति है । मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और चारों ओर से हिमालय की ऊँची चोटियों से घिरा है। यह स्थान प्राकृतिक रूप से अत्यंत मनोरम है।
2. हेमकुंड साहिब
यह सिखों का एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जो समुद्र तल से 15,000 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने ध्यान लगाया था ।यहाँ एक हिमनदी झील है और आसपास के क्षेत्र में बर्फ़ से ढके पहाड़ और ग्लेशियर देखे जा सकते हैं। यह स्थान ट्रैकिंग के लिए भी प्रसिद्ध है।
3. फूलों की घाटी
यह यूनेस्को द्वारा संरक्षित एक राष्ट्रीय उद्यान है, जहाँ गर्मियों में रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी यहाँ से संजीवनी बूटी लेकर गए थे ।
· ट्रैकिंग: यह घाटी ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है और हेमकुंड साहिब के मार्ग में पड़ती है।
4. औली
औली भारत की स्कीइंग राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ सर्दियों में बर्फबारी होती है, जो स्कीइंग और अन्य बर्फ़ानी खेलों के लिए उपयुक्त होती है । यहाँ से नंदा देवी, मन पर्वत, और कामेट जैसी हिमालय की ऊँची चोटियों के दर्शन होते हैं। जोशीमठ से औली तक का रोपवे सफ़र अत्यंत रोमांचक है।
5. रुद्रनाथ मंदिर
यह मंदिर पंच केदार में से एक है और भगवान शिव के मुख के दर्शन यहाँ होते हैं। ऐसा माना जाता है कि पांडवों को भगवान शिव के दर्शन यहाँ हुए थे ।
· ट्रैकिंग: मंदिर तक पहुँचने के लिए 19 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है, जिसमें हरे-भरे बुग्याल और हिमालय के मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं।
6. गोपेश्वर
गोपेश्वर चमोली जिले का मुख्यालय है और यहाँ भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। इसके अलावा यहाँ वैतरणी कुंड और बिना प्रतिमाओं के मंदिर समूह भी दर्शनीय हैं ।
यह स्थान सुंदर पर्वत श्रृंखलाओं, सीढ़ीदार खेतों और छोटी झीलों से घिरा हुआ है।
7. अत्रिमुनि आश्रम और जलप्रपात
यह आश्रम ऋषि अत्रि को समर्पित है और एक गुफ़ा के रूप में बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ अमृत नदी बहती है । यहाँ 70 मीटर ऊँचा एक जलप्रपात है, जो ट्रैकिंग और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है। इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता अद्वितीय है।
8.विष्णु प्रयाग (Vishnuprayag)
यह अलकनंदा नदी और धौलीगंगा नदी के संगम पर स्थित एक पवित्र स्थल है और पंच प्रयागों में से एक है । समुद्र तल से 1,372 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह हिंदू धर्म में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और मान्यता है कि यहाँ नारद मुनि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने दर्शन दिए थे
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