●● यशोदाके वे तीन माह ●●
°° भागवत स्कन्ध - 10 , अध्याय 82-84 में 163 श्लोकोंके माध्यमसे यशोदा और कृष्ण - बलराम मिलनको ब्यक्त करनेंकी कोशिश की गयी है जिसके आधार पर यह प्रस्तुति है ।
°° नन्द परिवार गोप - गोपियाँ और यदु कुलके लोग कुरुक्षेत्रमें तीन माह एक साथ गुजारा
°° इस अवसर बसुदेवजी ऋषियोंके आदेश पर एक यज्ञ किया
°° यह अवसर था सर्वग्रास सूर्य ग्रहण का , ऐसा ग्रहण प्रलय काल में लगता है
°° इस अवसर पर यहाँ मत्स्य ,उशीनर ,कोसल विदर्भ ,कुरु ,सृंजय ,काम्बोज , कैकेय , मद्र ,कृति ,आनर्त ,केरल एवं अन्य सभीं जगहों से लोग आये हुए थे
°° ब्यास ,नारद ,च्यवन ,देवल ,असित ,विश्वामित्र ,शतानंद ,भरद्वाज ,गौतम ,परसुराम वसिष्ठ ,गालव ,
भृगु ,पुलस्त्य ,कश्यप ,अत्रि , मार्कंडेय ,बृहस्पति , सनत कुमार , अंगीरा ,अगस्त्य ,याज्ञवल्क्य और वाम देव जिदे ऋषि मुनि भी आये हुए थे अब आगे :-
** आजका कुरुक्षेत्र मथुरासे 320 किलो मीटर है । सर्वग्रास सूर्य ग्रहण जैसा प्रलयके समय लगता है वैसा लगनें वाला था , यह बात बर्षा ऋतु प्रारम्भ होनेंके लगभग 03 माह पहले की है अर्थात यह ग्रहण फरवरी में लगा होगा । यह घटना महाभारत युद्धसे पहलेकी है लेकिन उस समय तक प्रभु श्री कृष्णकी तीसरी पीढ़ी प्रौढ़ हो चुकी थी । द्वारकासे यदु कुलके लोग कुरुक्षेत्र आ गए थे पीछे द्वारकाकी सुरक्षा हेतु यदु सेनाध्यक्ष कृतवर्मा और प्रभुके पौत्र अनुरुद्ध वहाँ रुक गए थे ।
^^ नंदको पता चला कि उनका कान्हा कुरुक्षेत्रमें है , यह हवा पुरे ब्रजमें फैल गयी और नन्द परिवार , गोप और गोपियाँ चल पड़े कुरुक्षेत्रके लिए .......
● सोचना इस दृश्यके सम्बन्धमें , इस स्थिति की गहरी सोच अपरा भक्तिमें पहुंचा सकती है
^^ कान्हा 11 सालके थे जब माँ यशोदासे जुदा हुए थे , वह माँ जो एक पलभी कान्हा बिना नहीं रह सकती थी वही माँ आज लगभग 50 - 60 सालके बाद अपनें कान्हासे मिलनें जा रही है , उसके अन्तः करणमें किस उर्जा का संचार हो रहा होगा ? जरा सोचिये इस बात पर ।50-60 वर्ष एक अनुमान है क्योंकि प्रभु जब परम धाम गए उस समय उनकी उम्र थी 125 साल की थी और इस समय उनके पौत्र भी जवान हो चुके हैं अतः यह ग्रहण महाभारत के पूर्व प्रभु के मध्य उम्रकी बात हो सकती है ।इस ग्रहण में कौरव और पांडव दोनों पक्ष के लोग प्यार पूर्वक भाग लिया था ।
¢ प्रभु मात्र 11 सालके थे जब क्रूरजी उनको मथुरा ले गए थे । कंश बधके बाद पुनः प्रभु और बलराम यशोदा - नन्दसे मिलनें कभीं नहीं गए जबकि मथुरा से नन्द गाँव 30 किलो मीटर दूर है। कन्हैया जब 06 सालके थे उनको गाय चरानें की अनुमति मिल गयी थी और वे नन्द गाँव से वृन्दावन जो लगभग 50 किलो मीटर दूर है , गाय चरानें हेतु जाते थे लेकिन मथुरा जाने के बाद उनको 30 किलो मीटर पर स्थित नन्द गाँव पुनः माँ यशोदा , नन्द और अपनी प्यारी गोपियोंसे मिलनें का वक़्त न मिल पाया ।
** कन्हैया और गोपियाँ शरीरसे 50 साल और बूढ़े हो चले हैं , जब एक दूसरेके आमनें सामनें हुए तब दोनों पक्ष मूक संबाद करनें लगा । गोपियाँ जो पूछती थी उसका जबाब प्रभु मौन से देते थे और प्रभु क्या पूछेंगे ,वे तो त्रिकाल दर्शी हैं । इस अवसर पर गोपियाँ और प्रभु कृष्ण वहाँ से एकाएक गायब हो
गए , लोग उन्हें खोजनें लगे लेकिन कहीं उनकी सुध न लग पायी । कान्हा और उनकी गोपियाँ सरस्वती के तट पर महारासमें लीन हो हो गए थे । इस महारासको कोई भौतिक आँखोंसे ।तो देख नहीं सकता था ।
** यशोदा -नन्द और गोप -गिपियाँ कुरुक्षेत्रमें तीन माह रहे और जब बरसात के दिन आने को हुए तब नन्द बाबा -यशोदा को भेटें देकर बिदा किया गया और यदु कुल सरस्वती तट से द्वारका के लिए चल पड़ा ।
अगले अंक में देखना कि आगे यशोदाके साथ क्या घटना घटी ?
~~~ ॐ ~~~~
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