गीता ध्यान
करनें से क्या होगा ?रोजाना मंदिर जाना .....उत्तम है ॥ रोजाना जप करना .....उत्तम है ॥ रोजाना गीता पढ़ना ...भी उत्तम है ॥ लेकीन .....अपनें अन्दर झाँक कर देखना किसी दिन एकांत में बैठ कर की .....अब इतना करनें से आप के अन्दर क्या कोई परिवर्तन हुआ है ?क्या आप का अहंकार कुछ नरम हुआ है ?क्या कुछ - कुछ पराये अपनें से दिखनें लगे हैं ?क्या प्रकृति की धीमी - धीमी आवाज आप के मन को भानें लगी है ?क्या कभी - कभी बिना कारण आँखें भर आती हैं ?क्या कभी ऐसा लगता है की पेड़ - पौधे आप से बातें करना चाह रहे हैं ?क्या कभी ऐसा लगता है की खिलता हुआ फूल आप से मिलना चाह रहा हो ?जब आप को ऐसा लगनें लगे की ------आप अकेले नहीं हैं .....आप के साथ सम्पूर्ण अस्तित्व है ....तब समझना की .....आप सही मार्ग पर हैं , और ....प्रभु का आयाम अब ज्यादा दूर नहीं ॥ ====== ॐ =====
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