गीता ध्यान
तीसरी आँख की ओर गीता की मस्ती या मस्ती में गीता ध्यान में मस्ती या मस्ती में ध्यान गीता की मस्ती या ध्यान की मस्ती को अलमस्ती कहते हैं और मस्ती में गीता या ध्यान का नाम है ....मन - बुद्धि से परे ब्रह्म मय स्थिति गीता की मस्ती ही ध्यान की मस्ती है जिसके आरम्भ में करता भाव होता है लेकीन जैसे - जैसे करता भाव तिरोहित होता जाता है .....मस्ती में गीता या मस्ती में ध्यान घटित होनें लगता है ....और इस घटना में जो मिलता है .....उसको अलमस्ती कहते हैं ....जहां निराकार निराकार नहीं रह सकता .....ऐसे भक्त के लिए उसे साकार में उतरना ही पड़ता है ॥ ===== ॐ ========
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